IIश्री गणेशाय नमःII-"श्री गणेश संकष्टी चतुर्थी"-गणेश गीत-"वंदितो तुजला गजवदना"

Started by Atul Kaviraje, February 20, 2022, 02:05:14 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                        IIश्री गणेशाय नमःII
                                      "श्री गणेश संकष्टी चतुर्थी"
                                     -----------------------

मित्र/मैत्रिणींनो,

      आज दिनांक-२०.०२.२०२२-रविवार, संकष्टी चतुर्थीचा पावन दिन आहे . श्री गणेश चरणी वंदन करून, ऐकुया एक गणेश गीत - "वंदितो तुजला गजवदना"

     माघ वद्य चतुर्थी प्रारंभ : १९ फेब्रुवारी २०२२ रोजी उत्तररात्री ०९ वाजून ५६ मिनिटे. - माघ वद्य चतुर्थी समाप्ती : २० फेब्रुवारी २०२२ रोजी उत्तररात्री ०९ वाजून ०५ मिनिटे.

     Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2022: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब है? गणेश जी के इस स्वरूप की करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी.

     Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2022: फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. चतुर्थी तिथि 20 फरवरी दिन रविवार को है. इस दिन गणेश जी के छठे स्वरूप की पूजा का विधान है. मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है. विघ्निहर्ता की भक्तों पर विशेष कृपा रहती है.

     गणेशजी के छठे स्वरूप की पूजा का विधान 20 फरवरी दिन रविवार को रखा जाएगा व्रत. Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2022 Date: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 20 फरवरी दिन रविवार को रखा जाएगा. इस दिन भगवान गणेश के 32 रुपों में से एक उनके छठे स्वरूप की पूजा का विधान है.  मान्यता के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है. विघ्निहर्ता प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आर्शीवाद प्रदान करते हैं. आइये जानते हैं इस दिन गणेश पूजन की विधि और शुभ मुहू्र्त के बारे में...     

                     द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि व मुहू्र्त---

     हिन्दू पंचांग के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 20 फरवरी 2022, रविवार को रखा जाएगा. चतुर्थी की शुरुआत 19 फरवरी को रात्रि 9 बजकर 56 मिनट से होगी, जिसका समापन 20 फरवरी की रात्रि 9 बजकर 05 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 9 बजकर 50 मिनट पर होगा. 

                     द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा---

     पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है, एक शहर में एक साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था. दोनों की कोई संतान नहीं थी. एक दिन साहूकार की पत्नी अपनी पड़ोसन के घर गई, जहां वह संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर कथा कह रही थी. साहूकार की पत्नी ने कथा सुनने के बाद घर आकर अगले चतुर्थी पर पूरी विधि-विधान के साथ पूजा कर उपवास रखा. भगवान गणेश के आशीर्वाद से साहूकार दंपत्ति को पुत्र की प्राप्ति हुई. साहूकार का बेटा बड़ा हो गया, तो साहूकारनी ने भगवान गणेश से फिर कामना की, कि उसके पुत्र का विवाह तय हो जाए, तो वह व्रत रखेगी, और प्रसाद चढ़ाएगी, परंतु बेटे का विवाह तय होने के बाद साहूकारनी प्रसाद चढ़ाना और व्रत करना भूल गई. जिससे भगवान गणेश ने नाराज़ होकर साहूकार के बेटे को शादी के दिन बंधक बनाकर एक पीपल के वृक्ष से बांध दिया. कुछ समय के बाद पीपल के पेड़ के पास से एक अविवाहित कन्या गुजर रही थी, तभी उसने साहूकार के बेटे की आवाज़ सुनी और अपनी मां को बताया. यह सारी बात जानने के बाद साहूकार की पत्नी ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी, प्रसाद चढ़ाकर उपवास रखा, और बेटे के वापस मिलने की कामना करने लगी. भगवान गणेश ने साहूकार के बेटे को वापस लौटा दिया, और बड़े धूम-धाम से साहूकार ने अपने बेटे का विवाह किया. तभी से पूरे नगर में सभी लोग चतुर्थी व्रत कर भगवान गणेश की उपासना करने लगे.


                          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आजतक.इन)
                         -------------------------------------


                                           गणेश गीत
                                   "वंदितो तुजला गजवदना"
                                  -----------------------

तुझ्या कृपेने दिन उगवे हा
तुझ्या कृपेने दिन उगवे हा
करुनी तव भजना
वंदितो तुजला गजवदना
वंदितो तुजला गजवदना.

सिंधूर वंदना तुजला नमितो दर्शन दे मजला
सुखकारक तू दुःख हरुनिया तारी प्रभु सकला
विघ्न विनाशक म्हणती तुजला
विघ्न विनाशक म्हणती तुजला
तू आमुची प्रेरणा.

सर्व सुखाचा तू प्रभुदाता विद्येच्या देवा
जन जीवनी या तूच शुभंकरा शुभदिन फुलवावा
कर्पूर गौरा गणनायक तू
कर्पूर गौरा गणनायक तू
गाउनी तव कवना.


                         (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-यू ट्यूब.कॉम)
                        ---------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.02.2022-रविवार.