चारोळ्या-"प्रदर्शनभरलंय कैद्यांच्याहस्तकलेचे,दर्शनचघडतंय त्यांच्यातील माणुसकीचे"

Started by Atul Kaviraje, February 24, 2022, 01:30:43 AM

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Atul Kaviraje

                विषय  : कैद्यांनी  बनविलेल्या  वस्तूंचे  प्रदर्शन
                              कैदी  हस्तकला  चारोळ्या
  "प्रदर्शन भरलंय कैद्यांच्या हस्तकलेचे,दर्शनच घडतंय त्यांच्यातील माणुसकीचे"
                                     (भाग-१)
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(1)
"प्रदर्शन  भरलंय   कैद्यांच्या  हस्तकलेचं"
"दर्शनच"  होतंय  त्यांच्या  अंगच्या  कलागुणांच
त्यांच्यातही  दडलाय  एक  वेगळा  कलाकार ,
"दर्शन"  होतंय  त्यांच्यातल्या  आगळ्या  "माणसाचे" .

(2)
ही  "माणसे"  का  करतात  गुन्हा  ?
करतील  का  ती  तो  पुन्हा  पुन्हा  ?
सखोल  चौकशी  याची  व्हावी ,
त्यांच्यातल्या  "माणसाची"  दखल  घ्यावी  !

(3)
"गुन्हेगारही"  एक  "माणूसच"  असतो
"गुन्हा"  होण्यास , काही  कारणे  असतात  यापाठी
म्हणून  का  त्यांच्यातील  कलाकाराला  यावे  मरण  ?
संधी  मिळावी  त्यांना  , अंगभूत  "कला"  जतन  करण्यासाठी .

(4)
आज  सारे  "कैदी"  खुश ,उत्साही  होते
जेलच्या  प्रांगणात  त्यांच्या  "हस्तकलेचं  प्रदर्शन"  भरले  होते
नागरिकांना  "कलेला"  दाद  देताना  पाहून  ते  सारे ,
भरल्या  कंठाने  त्यांना  धन्यवाद  करीत  होते .

(5)
"कैद्यांचा"  विश्वासच  बसत  नव्हता  यावर
जेलरने  त्यांच्यातील  गुण  ओळखले  होते
पुन्हा  एकदा  "माणसात"  यायची   संधी  देऊन ,
जेलरने  "कैद्यांच्या  कलेचे  प्रदर्शन"  भरवले  होते .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.02.2022-गुरुवार.