II महाशिवरात्री II-स्तुती-गीत क्रमांक-7

Started by Atul Kaviraje, March 01, 2022, 02:25:39 PM

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Atul Kaviraje

                                          II महाशिवरात्री II
                                         स्तुती-गीत क्रमांक-7
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज दिनांक-०१.०३.२०२२, मंगळवार आहे. आज "महाशिवरात्री" आहे.भगवान शिवाला समर्पित महाशिवरात्रीला हिंदू धर्मात विशेष महत्त्व आहे. हिंदू दिनदर्शिकेनुसार माघ महिन्यातील कृष्ण पक्षातील चतुर्दशीला महाशिवरात्री हा सण साजरा केला जातो. मराठी कवितेच्या माझ्या सर्व बंधू-भगिनी कवी-कवयित्रींनी महाशिवरात्रीच्या अनेक हार्दिक शुभेच्छा. "ओम नमः शिवाय" हा मंत्र जपूया, आणि वाचूया, या पावन रात्रीनिमित्त शिव-स्तुतीपर गाणे.

                                    मरळचा राजा  मार्लेश्वर  माझा
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हर  हर  महादेव
गेला  र  गेला
गरजून  गेला
मरळचा राजा  मार्लेश्वर  माझा
मकर  संक्रांतीला  लय  गाजावाजा
ताशांचा  आवाज
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

भाविक  सारे  झालेत  गोळा
मरळ गावाच्या  या  जत्रंला
हा  शिवसांब  शंकर  भोळा
डोळे  भरुनी  पाहूया  सोहळा

डोळे  भरुनी  पाहूया  सोहळा
डोळे  भरुनी  पाहूया  सोहळा

हे  शिवहराचा  जयघोष  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गरजून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

नारळ  फुले  बेल  त्या  वाहती
भजनी  त्यांच्या  रंगुनी  जाती
पालखीपुढे  नाच  नाचती
आनंदाने  सारे  हर  हर  गाती

आनंदाने  सारे  हर  हर  गाती
आनंदाने  सारे  हर  हर  गाती
हे , मजा  ही  येते , संक्रांतीला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गरजून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

रंगीबेरंगी  उडे  गुलाल
पावन  झाले  तीर्थ  मारलं
पौष  मासी  एकदा  याला
शिवहराचे  सेवक  व्हाल

शिवहराचे  सेवक  व्हाल
शिवहराचे  सेवक  व्हाल

हे  देवाच्या  हाकेला  सांबर  धावला  नी
सह्याद्री पर्वत  गर्जुनी  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

दर  सोमवारी  अभिषेक  करती
भाविक  भोळे  धबधब्या  नाहती
आनंद  सारे  विसरून  जाती
स्वयंभू  पाहून  देवाची  ख्याती 

स्वयंभू  पाहून  देवाची  ख्याती 
स्वयंभू  पाहून  देवाची  ख्याती 

हे  भुयारी  त्यांच्या  भुजंग  आला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जुनी  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

हे  गेला  रे  गेला 
गरजून  गेला
मरळचा  राजा  मार्लेश्वर  माझा
मकर  संक्रांतीला  लय  गाजावाजा
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला
ताशांचा  आवाज  तारारारा  झाला  नी
सह्याद्री  पर्वत  गर्जून  गेला

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गायक - सच्चीदानंद  आप्पा
गीतकार - प्रभाकर  सावंत
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.03.2022-मंगळवार.