II महाशिवरात्रि II-निबंध क्रमांक-1

Started by Atul Kaviraje, March 01, 2022, 02:30:35 PM

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Atul Kaviraje

                                         II महाशिवरात्रि II
                                           निबंध क्रमांक-1
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मित्रो,

     आज दिनांक-०१.०३.२०२२ मंगलवार है. आज "महाशिवरात्री" है. "हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहा जाता है।" मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस पावन रात्रिकी अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए, "ओम नमः शिवाय" मंत्र-उच्चारण करें और पढे, इस पावन रात्री पर लेख, कथा, पूजा-विधी, शायरी, शुभकामनाये, निबंध इत्यादी.

                         महाशिवरात्रि पर निबंध---

     महाशिवरात्रि के इस पवित्र लेख में आप सभी शिव भक्तों का सादर प्रणाम। 🙏 यहां आपको महाशिवरात्रि पर निबंध पढ़ने को मिलेगा।

     महाशिवरात्रि निबंध शुरू करने से पहले मैं आपको यह बता देता हूँ कि महाशिवरात्रि कब है? उसके बाद जानेंगे की महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?, महाशिवरात्रि के दिन क्या हुआ था? और पूजा के समय क्या-क्या सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी और किन-किन जगहों पर शिवलिंग की स्थापना हुई है I     

     भारत में महाशिवरात्रि का त्यौहार हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का एक प्रमुख पर्व या उत्सव है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव-रात्रि का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से पूरे भारत देश में मनाया जाता है। इतिहास के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ होने वाला था तो इसी दिन मध्य-रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतार हुआ था।

                   महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?---

     एक बार ऐसा हुआ था कि शिव रात्रि के दिन प्रदोष के वक्त भगवान शिव तांडव कर रहे थे और तांडव करते हुए ही उन्होंने ब्रह्मांड को अपनी तीसरे नेत्र की ज्वाला से विश्व को समाप्त कर देते। इसलिए इसी दिन को महा शिवरात्रि अथवा कालरात्रि के रूप से मनाया जाता है। कई जगह पर तो यह चर्चा भी होती है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी हुआ था। तीनों भुवनों की अपार सुन्दरी और शीलवती गैरों को अर्धांगिनी बनाने वाले भगवान शिवजी प्रेतों व पिशाचों के बीच घिरे रहते हैं।

     भगवान शिव का जो रूप है वो सबसे अलग है। शरीर पर श्मशान की भस्म है, उनके गले में सर्पों की माला, कंठ में विष, जटाओ में पावन-गंगा और माथे में प्रलयंकर ज्वाला है। शिवजी बैल को अपना वाहन के रूप में प्रयोग करते है। शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते है और धन-सम्पत्ति प्रदान करते है। पूरे साल में 12 शिव त्यौहार होते है जिसमें से एक महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।

                      महाशिवरात्रि पूजा विधि---

शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक कई तरीके से किया जाता है।

जलाभिषेक: जो की जल (पानी) से किया जाता है।
दूध: दूसरा दूध से किया जाया है।
सुबह-सुबह भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की बहुत लम्बी लाइन जमा हो जाती है। वे सभी शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते है और भगवान से अपने और अपने चाहने वालो के लिए प्रार्थना करते हैं। सभी भक्त सूर्योदय के वक्त पवित्र स्थानों पर स्नान करने के लिए जाते है जैसे की गंगा या फिर खजुराहो के शिव सागर में या फिर किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में।

स्नान शरीर को शुद्ध करता है जो कि सभी हिंदू त्योहारों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

     जब स्नान कर लेते हो तो उसके बाद साफ कपड़े (स्वच्छ वस्त्र) पहनने होते है। सभी भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर के अंदर पानी का बर्तन ले जाते हैं। सभी महिलाएं और पुरुष दोनों सूर्य शिव और विष्णु की प्रार्थना करते हैं। इसमें आपको 3 या 7 बार शिवलिंग की परिक्रमा करनी होती है और फिर उसमें पानी और दूध भी डालते हैं।

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में 6 वस्तुओं को जरूर शामिल करना चाहिए जिसके बारे में आप आगे पड़ोगे।

शिव लिंग का जल (पानी), शहद और दूध के साथ अभिषेक. बेर या बेर के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
स्नान के बाद शिवलिंग को सिंदूर का पेस्ट लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
फल, यह दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं।
धन, जलती धूप, उपज (अनाज)
दीपक, यह ज्ञान की प्राप्ति के लिए बहुत ही अनुकूल है।
सांसारिक सुखों के लिए पान के पत्ते बहुत जरूरी है यह संतोष अंकन करते हैं।


--हिमांशू ग्रेवाल
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-१० लाईन्स.को)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.03.2022-मंगळवार.