II भक्ती-भजन II-हरि भक्ती-भजन-"हरि नाम नहीं तो जीना क्या"

Started by Atul Kaviraje, March 02, 2022, 07:29:40 PM

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Atul Kaviraje

                                         II भक्ती-भजन II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज बुधवार. आज ऐकुया एक हरि भक्ती भजन. या गीताचे  बोल आहेत- "हरि नाम नहीं तो जीना क्या"

                                       हरि भक्ती-भजन
                                 "हरि नाम नहीं तो जीना क्या"
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हरि नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरि नाम जगत में
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या.

काल सदा अपने रस डोले
ना जाने कब सर चढ़ बोले
हर का नाम जपो निसवासर
अगले समय पर समय ही ना
हरि नाम नहीं.

भूषन से सब अंग सजावे
रसना पर हरि नाम ना लावे
देह पड़ी रह जावे यही पर
फिर कुंडल और नगीना क्या
हरि नाम नहीं.

तीरथ है हरि नाम तुम्हारा
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा
अंत समय हरि नाम ना आवे
फिर काशी और मदीना क्या
हरि नाम नहीं.

हरि नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरि नाम जगत में
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या.

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गायक - मैथिली ठाकूर, रिशव ठाकूर, अयIची ठाकूर
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                     (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-हिंदी भजन.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.03.2022-बुधवार.