II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II-कविता क्रमांक-7

Started by Atul Kaviraje, March 08, 2022, 02:07:59 AM

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Atul Kaviraje

                                  II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II
                                         कविता क्रमांक-7
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मित्रो,

     आज दिनांक-०८.०३.२०२२, मंगलवार है. यह दिन "जागतिक महिला दिवस" के नाम से भी जाना   जाता है. "प्रत्येक वर्ष 8 मार्च पुरे विश्व में महिलाओं के योगदान एवं उपलब्धियों की तरफ लोगो का ध्यान क्रेंदित करने के लिए महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी को समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाना और उसके स्वयं में निहित शक्तियों से उसका ही परिचय कराना होता है।" मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि मेरी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए पढते है, इस दिन पर कुछ रचनाये, कविताये---

     सोमवार यानी 8 मार्च 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day) है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को सम्मान, प्रशंसा और प्यार के दिन के रुप में मनाया जाता है। महिला दिवस (Womens Day) पर आप भी महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देना चाहाते हैं तो हम आपको लिए महिला दिवस कविताएं (Women Day Poems) लेकर आएं हैं। इन कवितIओं को आप सोशल मीडिया फेसबुक (Facebook), व्हाट्सएप (Whatsapp), इंटाग्राम (Instagram) के माध्यम से शेयर कर महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं दें सकते हैं..

              अंतर्राष्ट्रीय महिला 2019 महिला दिवस कविता---

     गर्व है मुझे मैं नारी हूँ तोड़ के हर पिंजरा जाने कब मैं उड़ जाऊँगी चाहे लाख बिछा लो बंदिशे फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाऊंगी मैं हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ भले ही परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ..

     ये औरत तुझे क्या कहुँ, तेरी हर बात निराली है तू एक ऐसा पौधा है जिस घर रहे वह हरियाली ही हरियाली है तेरी शान में सिर्फ इतना कह सकते है की तेरी उचाईयो के सामने आसमान भी नहीं रह सकता है मेरी सिर्फ इतना सा एक पैगाम है ऐ औरत तुझे मेरा सिर झुका कर सलाम है..

     मैं अंबर, मैं सितारI हूं, मैं ही चांद और तारा हूं, मैं धरती, मैं नजारा हूं, मैं ही जल की धारा हूं, मैं हवा, मैं फिजा हूं, मैं ही मौसम का इशारा हूं, मैं फूल, मैं ही खुशबू हूं, मैं ही जन्नत का नजारा हूं..

     दिलों में बस जाए वो मोहब्बत हूँ, कभी बहिन, कभी ममता की मूरत हूँ। मेरे आँचल में हैं से चाँद सितारे, माँ के क़दमों में बसी एक जन्नत हूँ। हर दर्द-ओ-ग़म को छुपा लिया सीने में, लब पे ना आये कभी वो हसरत हूँ। मेरे होने से ही है यह कायनात जवान, ज़िन्दगी की बेहद हसीं हकीकत हूँ। हर रूप रंग में ढल कर सवर जाऊं, सब्र की मिसाल, हर रिश्ते की ताकत हूँ। अपने हौसले से तक़दीर को बदल दूँ, सुन ले ऐ दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ..

     नारी तुम आस्था हो तुम प्यार, विश्वास हो, टूटी हुयी उम्मीदों की एक मात्र आस हो, अपने परिवार के हर जीवन का तू आधार हो, इस बेमानी से भरी दुनिया में एक तुम ही एक मात्र प्यार हो, चलो उठों इस दुनिया में अपने अस्तित्व को संभालो, सिर्फ एक दिन ही नहीं, बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो..


--टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्ली
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हरीभूमी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.03.2022-मंगळवार.