II होली II-कविता क्रमांक-1

Started by Atul Kaviraje, March 17, 2022, 02:01:58 AM

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Atul Kaviraje

                                              II होली II
                                           कविता क्रमांक-1
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मित्रो,

      आज दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार है. "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

                            होली पर कविताएं

10 Holi Poems In Hindi – Holi Par Kavita : – 2022 mein holaur dhulandi ka parv 9 March aur 10 March ko manaya jayega. Hum yahan par aap sabhi ke liye holi pems ka behatrin collection Hindi, English, Gujarati, Marathi aur Punjabi Mein de rahe hai. Aasha hai aap sabhi ko pasand aayegi.

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होली आयी होली आयी
ले अबीर की टोली आयी
खुशियों की अम्बार लायी
रंगो का त्यौहार लायी

बच्चे बूढ़े और जवान
खूब खाये मिठाई पकवान
उम्र की सिमा भूल गए सब
रंग सरोवर में डूब गए सब

आओ हम सब खेले होली
नहीं बोले कोई कड़वी बोली
प्रेम के रंग में सब को रंग डाले
नफरत दिल में कोई न पाले

उंच नीच का भेद भूलकर
एक दूजे को रंग लगाए
जाती मजहब से ऊपर उठकर
होली का त्यौहार मनाये
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रंगों का त्योहार है,
खुशियों की सौगात है।
अपनों का साथ है,
दोस्तों का प्यार है।
बच्चों की शरारत है,
बुजुर्गों का आशीर्वाद है।
पकवानों का स्वाद है,
रंगों की बरसात है।
पुरुषों के भांग है,
महिलाओं के गीत है।
अच्छाई की कामना है,
मिलन की अभिलाषा है।
फूलोँ का मेला है,
रंगों की भीड़ है।
साथ मिलकर मनाओ,
यह रंगों का त्योहार है।
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एक बार फिर होली आई है,
साथ ढेर सारी यादे लाई है।
याद आती है वो बचपन की होली,
गुब्बारों से जब खेला करते थे।
पिचकारियों में रंग भरा करते थे,
दोस्तों से रंगों पे झगड़ा करते थे।
याद आती है वो ठुमको वाली होली,
नाचते हुए जब झुमा करते थे,
ठहाके के संग जिया करते थे,
अपनों को भी रंग लगवाया करते थे।
याद आती है वो पकवानों वाली होली,
गुजियों की थाली को देखा करते थे,
पेट भर के जब खाया करते थे,
गरीबों को भी खिलाया करते थे।
याद आती है वो बचपन वाली होली,
दिल से जब जिया करते थे।
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--पंकज गोयल
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.03.2022-गुरुवार.