II होळी II-कविता क्रमांक-1

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 01:50:06 PM

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Atul Kaviraje

                                              II होळी II
                                           कविता क्रमांक-1
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मित्रो,

      आज दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार है. "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

कित्येक वर्षे झाली होळी खेळलोच नाही
तुझ लग्न झाल्यापासून......
तुझ्या शिवाय दुसरीला रंग लावावा
अस वाटलच नाही कधी मनापासून ......

रंग खेळण तर
बहाणा असायचा
वाटायचं एक दिवस तरी
दूर कस राहायचं तुझ्यापासून ......

रंगाचा मोह मला कधीच नव्हता
कारण माझ्या जीवनात
रंग भरायला सुरुवातच
झाली होती तुझ्यापासून ......

मला रंगीन करून
माझ्या जीवनाला
बेरंग करून तू
गेलीस दूर माझ्यापासून ......

तरीही प्रत्येक होळीला
तू लाडाने मला विचारतेस
राजा का पळतोस
दूर रंगापासून ......

भिऊ नकोस
मीच आता भरणार
रंग माझ्या जीवनात
ह्या होळीपासून ......
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--निलेश बामणे
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.