II होली II-लोकप्रिय होली गीत क्रमांक-12

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 02:50:44 PM

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Atul Kaviraje

                                           II होली II
                                लोकप्रिय होली गीत क्रमांक-12
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मित्रो,

      कल दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार था.  "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

                      बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी - लिरिक्स हिंदी में

इतना मज़ा, क्यूँ आ रहा है
तूने हवा में भांग मिलाया
इतना मज़ा, क्यूँ आ रहा है
तूने हवा में भांग मिलाया

दुगना नशा क्यूँ हो रहा है
आँखों से मीठा तूने खिलाया

हो तेरी मलमल की कुर्ती गुलाबी हो गयी..
मनचली चाल कैसे नवाबी हो गयी.. तो

बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी
तो सीधी साधी छोरी शराबी हो गयी..
हां जीन्स पहन के जो तूने मारा ठुमका
तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गयी..

बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी
तो सीधी साधी छोरी शराबी हो गयी..
हां जीन्स पहन के जो तूने मारा ठुमका
तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गयी..

तेरी कलाई है, हाथों में आई है
मैंने मरोड़ा तो लगती मलाई है
महंगा पड़ेगा ये चस्का मलाई का
उपवास करने में तेरी भलाई है
हो बिंदिया तेरी महताबी हो गयी..
दिल के अरमानों में बेहिसाबी हो गयी..

बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी
तो सीधी साधी छोरी शराबी हो गयी..
हां जीन्स पहन के जो तूने मारा ठुमका
तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गयी..

क्यूँ no vacancy की होठों पे गाली है
जबकि तेरे दिल का कमरा तो खाली है
कमरा तो खाली है ...
मुझको पता है रे ...क्या चाहता है तू
बोली भजन तेरी नीयत कवाली है
जुल्मी ये हाज़िर-जवाबी हो गयी..
तू तो हर ताले आज चाबी हो गयी.. तो

So..
बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी
तो सीधी साधी छोरी शराबी हो गयी..
हां जीन्स पहन के जो तूने मारा ठुमका
तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गयी..

बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी
तो सीधी साधी छोरी शराबी हो गयी..
हां जीन्स पहन के जो तूने मारा ठुमका
तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गयी..

हां बोले रे ज़माना ख़राबी हो गयी..
हां बोले रे ज़माना ख़राबी हो गयी..


--AUTHOR UNKNOWN
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                   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-लैरिक इन हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.