II होली II-राधा कृष्ण-गीत-क्रमांक-1

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 03:16:56 PM

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Atul Kaviraje

                                           II होली II
                                         राधा कृष्ण-गीत
                                            क्रमांक-1
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मित्रो,

      कल दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार था.  "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

            राधा कृष्ण होली शायरी | राधा कृष्ण होली शायरी

हर शाम किसी के लिए सुहानी नही होती, हर प्यार के पीछे कोई कहानी नही होती,
कुछ तो असर होता हैं दो आत्मा के मेल का, वरना गोरी राधा, सावले कान्हा की दीवानी ना होती।

अधुरा हैं मेरा इश्क तेरे नाम के बिना,
जैसे अधूरी हैं राधा श्याम के बिना।

मुझे रिश्तों की लम्बी कतारों से क्या मतलब
कोई दिल से हो मेरा, तो एक कृष्ण ही काफ़ी हैं।

पता नहीं मजाक था या प्यार का पैगाम लिखा था,
जब मैनें राधा और उसने श्याम लिखा था।

कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।

होली के रंग रसखान के कृष्ण के संग
रसखान के कृष्ण का फाग क्या कोई साधारण
फाग होता था?
होरी भई के हरि भये लाल, कै लाल
के लागी पगी ब्रजबाला
फागुन लाग्यौ सखि जब तें तब तें
ब्रजमण्डल में धूम मच्यौ है।
नारि नवेली बचै नहिं एक बिसेख मरै
सब प्रेम अच्यौ है॥

सांझ सकारे वही रसखानि सुरंग
गुलालन खेल मच्यौ है।
को सजनी निलजी न भई अरु कौन
भटु जिहिं मान बच्यौ है॥


--AUTHOR UNKNOWN
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भक्ती की शक्ती.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.