II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II-लेख क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, March 20, 2022, 06:33:49 PM

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Atul Kaviraje

                              II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
                                           लेख क्रमांक-3
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मित्रो,

     कल दिनांक-२१.०३.२०२२-सोमवार, छत्रपती श्री शिवाजी महाराज की तिथीनुसार जयंती है. इस साल फाल्गुन वद्य तृतीया, 21 मार्च 2022 इस दिन है. महाराष्ट्रमे कई सण या उत्सव तिथीनुसार मनाने की परंपरा है. इस के अनुसार शिवजयंती भी इस तिथी पर बडे उत्साह से मनाई जाती है. कई शिवभक्त २१ मार्च को भी शिवजयंती बडे दिल से मनIते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस सु-अवसर पर मेरी अनेक हार्दिक शुभेच्छाये .आईए इस सुनहरे दिवस पर पढते है--लेख, निबंध,भाषण,शुभेच्छाये,स्टेटस,कोट्स,शायरी,सु-विचार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                       पुरंदर की संधि---

     शिवाजी के जीवन की सबसे दुखद घटना थी। पुरंदर की संधि 22 जून, 1665 को जयसिंह के साथ हुई। इसकी शर्तें इस प्रकार है-

1. शिवाजी ने 23 किले और उससे लगे हुए प्रदेश को मुगलों को दे दिया। इसकी आय 4 लाख हूण थी।

2. एक लाख हूण की आय वाले 12 किले शिवाजी को अपने पास रखने थे। शर्त यह थी कि वह शाही तख्त का सेवक और राजभक्त बना रहेगा।

3. शिवाजी ने भविष्य में मुगल सम्राट की सेवा करने का आश्वासन दिया। किन्तु अपने बेटे शंभा जी को 5000 घुडसवारों के एक दल के साथ सम्राट की सेवा में भेजने की बात कही। इसके एवज में शिवाजी को उचित जागीर प्रदान करने का वचन दिया।

4. इसके अतिरिक्त एक गुप्त संधि भी की गई। जिसके अनुसार शिवाजी ने बीजापुर पर आक्रमण के समय मुगलों को अपने सहयोग देने का वचन दिया और सम्राट से यह आश्वासन चाहा कि बीजापुर का विघटन होने पर रियासत के कोंकण व बालाघाट प्रदेश उसे मिल जायेगा। इसके बदले में सम्राट को 40 लाख हूण 13 वार्षिक किश्तों में चुकाने को तैयार हो गये।

                       शिवाजी का आगरा की ओर कूच---

     यह कूच किसी युद्ध के लिए नहीं थी। मार्च, 1666 ई. में शिवाजी अपने बड़े पुत्र शंभाजी, प्रधान सरदारों तथा लगभग 4000 अंग रक्षक सैनिकों के साथ आगरा की ओर कूच किया। 9 मई, 1666 को औरंगज़ेब से मुलाकात की। परन्तु औरंगज़ेब ने काफी अपमानजनक व्यवहार किया। क्योंकि उनके स्वागत में दरबार के बाहर नहीं किया गया। दूसरी ओर उनको पांच हज़ारी मनसब के साथ तीसरी पंक्ति में खड़ा कर दिया।

     औरंगज़ेब और शिवाजी के बीच संधि कराने तथा शिवाजी को सम्मान देना का जिम्मा जयसिंह तथा उसके बड़े पुत्र रामसिंह था। परन्तु शिवाजी की खिल्लत से सम्मानित किया। अपमानित शिवाजी ने क्रुद्ध होकर औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा और मुगल दरबार को छोड़कर चले गये। औरंगज़ेब शिवाजी की हत्या कराना चाहता था किन्तु जयसिंह और उनके पुत्र रामसिंह ने उन्हें नजर बन्द कर लिया और कुछ दिनों बाद वहां से अपने पुत्र के साथ शिवाजी भागने में सफल हुए। यह शिवाजी की सबसे बड़ी गलती थी।

                   शिवाजी की मृत्यु और उत्तराधिकार--

     छत्रपति महाराज शिवाजी को भोजन में विष दिलाने का बाद 3 अप्रैल, 1680 में मृत्यु हो गयी। अंतिम दिन शिवाजी काफी दुःख में बीता है। शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा ने शंभा जी को अपना छत्रपति चुन लिया। उस समय राजाराम 10 वर्ष का था। क्योंकि शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई अपने पुत्र राजाराम को उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी। क्योंकि उस समय शंभा जी काफी दुराचारी हो गया था। लेकिन शिवाजी का बड़ा पुत्र होने के कारण उसी को उत्तराधिकारी चुना गया।

                           FAQ's---

Q. शिवाजी महाराज जयंती कब मनायी जाती है?

Ans : शिवाजी महाराज जयंती 19 फरवरी को मनायी जाती है।

Q. पुरंदर की संधि कब हुई थी?

Ans : पुरंदर की संधि 22 जून, 1665 को जयसिंह के साथ हुई।


--AUTHOR UNKNOWN
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-डेली हंट हिंदी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.03.2022-रविवार.