आंदोलनकारी चारोळ्या- "घागर घे,फोडून टाक,पण आंदोलन कर ठीक-ठाक !"-(भाग-2)

Started by Atul Kaviraje, March 24, 2022, 01:16:26 AM

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Atul Kaviraje

         विषय  : हक्कांसाठी  घागर -फोड  आंदोलन
             वास्तव  मार्मिक  आंदोलनकारी  चारोळ्या
      "घागर घे,फोडून टाक,पण आंदोलन कर ठीक-ठाक !"
                           (भाग-2) 
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(6)
द्वापार  युग  नुकतेच  सुरु  झाले  होते
गोकुळी  श्रीकृष्ण  चिंताक्रांत  बसला  होता
माझ्या "घागर (माठ)फोडीचा" हक्क कोण हिरावतोय, कलियुगात ?
त्याच्या  रागाचा  पारा  वर  चढत  होता  !

(7)
श्रीकृष्ण  जयंती  आज  सुनी -सुनी  होती
दही -दूध -लोणी  "मटक्याची"  वाट  पहात  होते
वर्षभर  चालणाऱ्या  "घागर -फोड  आंदोलनाने" ,
त्यांचे  दही -"हंडीचे"  दिवस  हिरावून  घेतले  होते .

(8)
रस्त्यावर  "घागर" -कपारींचा  खच  पडला  होता
वाहनांची  वाहतूक  वर्दळ  पूर्णपणे  थांबली  होती
गॅरेजवाल्याना  आज  सुदिन  आले  होते ,
टायरचे  पंक्चर  काढणारी  विशेष  टीम  तयारीत  होती .

(9)
"घागर"  कुंभाराला  होती  विनवीत
मला  तू  का  घडवतोयस  ?
मातीतून  आकार  देणारा  तू  मला ,
मातीमोल  करणाऱ्यांच्या  हातात  का  सोपवतोयस  ?

(10)
सरकारने  बंदी  आणली  होती  "घागर -फोडीवर"
पण  माझे  हात  अजुनी  शिवशिवत  होते
इतक्या  वर्षांची  आंदोलनाची  सवय  माझी ,
स्वप्नही  मला  "घागर -फोडीचेच"  पडत  होते .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.03.2022-गुरुवार.