वास्तव चारोळ्या- झुरतेय पोस्टाची लाल पेटी,पत्रांचा अभाव तिचे पोटी

Started by Atul Kaviraje, April 09, 2022, 03:16:53 PM

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Atul Kaviraje

      विषय  : पोस्टाच्या  लाल -पेटीला  कायमचे  टाळे  लागले  ?
                        वास्तव  मार्मिक  चारोळ्या
          "झुरतेय पोस्टाची लाल पेटी,पत्रांचा अभाव तिचे पोटी !"
                                (भाग-2)
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(6)
तेव्हाचे  जुने POST-OFFICE  आज  अद्ययावत  झालंय
त्यांनाही INTERNET-च्या  जाळ्याने   जगभर  जोडलंय
पण  लक्ष  आहे  कुणाचे  त्या  गरीब  "लाल -पेटीकडे"  ?
आज  तिला  चक्क  कोळ्यांच्या  जाळ्याने  वेढलंय  !

(7)
उन्हाळा , पावसाळा , अन  हिवाळा
तीनही  ऋतूंत  ती  सेवेस  सज्ज  होती
आज  तिचे  उजाड  आहेत  सारे  ऋतू ,
असहाय्य ,उभी  अशी  ती  आज  दुर्लक्षित  होती .

(8)
पण  एक  आस  आहे  अजुनी  उराशी  बाळगून
आजही  विकसित  नाहीय INTERNET गावा -गावांतून
मरणासन्न  अवस्थेतही  तिचा  सुरु  आहे  श्वास ,
गावाकडून  येताच  खुशाली ,ती  सोडतेय  सुटकेचा  निश्वास .

(9)
"पोस्टाच्या  लाल -पेटीचे"  तोंड  आजही  उघडे  आहे
पण  त्यात  पडणाऱ्या  "पत्रांचा"  मात्र  अभाव  आहे
जग  जोडणाऱ्या  या  आधुनिक ,विकसित  तंत्रज्ञानाकडे ,
ती  आजही  अवाक , आ  वासून  पहात  आहे .

(10)
"पोस्टाची  लाल -पेटी"  आज  इतिहासात  जमा  झालीय
एक  स्मारक  म्हणून  सरकारने  तिला  जपलंय
आजही  तिच्याकडे  कौतुकाने  पIहिले  जाते  थांबून ,
वृद्ध  होतात  भाव -विवश , तेव्हाचे  तिचे  दिवस  आठवून . 


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.04.2022-शनिवार.