उत्तर भारतातील एक सुप्रसिद्ध संत-कबीर दास जी

Started by Atul Kaviraje, April 14, 2022, 08:11:52 PM

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Atul Kaviraje

                                 उत्तर भारतातील एक सुप्रसिद्ध संत
                                         "कबीर दास जी"
                                            प्रसिद्ध  दोहे
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     "मार्गदर्शक विचार" या मालिके-अंतर्गत आज ऐकुया, उत्तर भारतातील एक सुप्रसिद्ध संत "कबीर दास जी" यांचे प्रसिद्ध  दोहे . (विचार पुष्प क्रमांक-208)

"जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।"

     संत कबीर दास के दोहे गागर में सागर के समान हैं। उनका गूढ़ अर्थ समझ कर यदि कोई उन्हें अपने जीवन में उतारता है तो उसे निश्चय ही मन की शांति के साथ-साथ ईश्वर की प्राप्ति होगी।

Name- Kabir Das / कबीर दास
Born- ठीक से ज्ञात नहीं  (1398 या  1440) लहरतारा , निकट वाराणसी
Died- ठीक से ज्ञात नहीं  (1448 या 1518) मगहर
Occupation- कवि, भक्त, सूत कातकर कपड़ा बनाना
Nationality   - भारतीय


                              " मार्गदर्शक विचार पुष्प क्रमांक-208"
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–1–
--बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

--अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।


                        (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-अच्छी खबर.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.04.2022-गुरुवार.