अश्रू-चारोळ्या-अश्रू (आसवे)-चारोळी क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, May 03, 2022, 12:23:06 AM

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Atul Kaviraje

                                अश्रू -चारोळ्या
                                 अश्रू (आसवे)
                               चारोळी क्रमांक-१
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--प्रेमात  कधी  कधी  प्रियकर  प्रेयसीचे  वाद -विवाद  हे  होतच  असतात . याला  काही  भांडण  म्हणत  नाहीत .परंतु  हे  भांडण  प्रेमाचेच  असते .असो , प्रियकर  तिला  काही  बोलला  असेल ,तर  तिने  ते  मनावर  घेतले . तिच्या  जिव्हारी  ते  लागले . तिला  बहुधा  त्याचे  हे  म्हणणे  पटले  नसावे , आणि  न  पटून  नकळत  तिच्या  डोळ्यात  आसवांनी  दाटी  केली . हे  त्याच्या  लक्षात  येताच , तो  म्हणजे  प्रियकर  किंचित नरमला . म्हणू  लागला , की  अगं  माझं  बोलणं  मनावर  घेऊ  नकोस , नकळतच  काहीतरी  बोलून  गेलो , इतकच . पहा,  आता  थांबव  बरं  हे  तुझं  रडणं , मुसमुसणं . हवी  तर  मी  तुझी  माफी  मागतो .पुन्हा  असे  नाही  बोलणार . आता  यापुढे  मी  कान  पकडतो , की  तुझ्या  मनाला  यातना  होतील  असे  बोलणार  नाही . आता  तुझे  हे  अश्रू  थांबव , प्रिये . कारण  थोड्याच  वेळात  त्याचा  बांध  फुटून  आसवांचा  धबधबाच  सुरु  होईल . प्रेमात  हे  अधिक  उणे  बोलणे , मग  मनधरणी करणे  असे  प्रकार  होतच  असतात . त्याशिवाय  प्रेमाला  गोडीच  येत  नसते .

(1)
अगं , मनावर  का  घेतेस  बोलणे  एवढे  ?
बघ , भरून  आलेत  पाण्यांनी  कसे  डोळे 
अधिक   न  बोलणे  आता  उणे -दुणे ,
बांध  फ़ुटेलच  "आसवांचा" , तुझ्याच  नकळे .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-03.05.2022-मंगळवार.