चारोळ्या-प्रदर्शन भरलंय कैद्यांच्या हस्तकलेचे,दर्शनच घडतंय त्यांच्यातील माणुसकीच

Started by Atul Kaviraje, May 08, 2022, 12:25:38 AM

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Atul Kaviraje

                    विषय  : कैद्यांनी  बनविलेल्या  वस्तूंचे  प्रदर्शन
                              कैदी  हस्तकला  चारोळ्या
   "प्रदर्शन भरलंय कैद्यांच्या हस्तकलेचे,दर्शनच घडतंय त्यांच्यातील माणुसकीचे"
                                      (भाग-2)
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(6)
"कैद्यांचे'  कुटुंब  त्यांना  भेटावयास  आले  होते
बायका -मुलांची  ते  पुनर्भेट  घेत  होते
"हस्तकला  प्रदर्शना -निमित्ते"  आपल्या  "माणसांना"  पाहून ,
त्याचे  डोळे  भरून  आले  होते .

(7)
सरकारने  त्यांना  सुधारण्याची  एक  संधी  दिली  होती
त्या  संधीचे  ते  सोने  करीत  होते
त्या  भूतकाळाच्या  नकोश्या  आठवणींना  नजरेआड  करून  ते ,
आधुनिक  विविध   "हस्तकलेत"  वर्तमान  जगत  होते .

(8)
"कैद्यांच्या"  वस्तुंना  आज  जगभर  मागणी  होती
त्यांच्या  "हस्तकलेचं"  सर्वत्र  कौतुक  होत  होते
इतकी  सुंदर ,अमर  "कलाकृती"  जन्मास  घालणारे  "कैदी" ,
"गुन्हेगार"  असूच  शकत  नाहीत , असे  त्यांचे  ठाम  मत  होते .

(9)
केव्हातरी  गुन्हा  घडलेले  त्यांचे  कृष्ण -हस्त
आज  स्वच्छ ,शुभ्र ,बेदाग ,निष्कलंक  होते
या  सुंदर  हातांनी  अन  नितांत  सुंदर  मनाने ,
ते  ही,  "हस्तकलेची" अजरामर  कलाकृती  घडवीत  होते .

(10)
"कैद्यांना"  माफीनामा  जाहीर  झाला  होता
सद्वर्तनाने  सुधारण्याची  एक  संधी  त्यांना  मिळाली  होती
अंगभूत  "कलागुणांना"  वाव  मिळून , बाहेरील  जगात ,
ते  एक  प्रतिष्टीत  नागरिक  म्हणून  वावरत  होते .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.05.2022-रविवार.