आधुनिक तंत्रज्ञान चारोळ्या-सूर्य जोवर तळपतोय आकाशी,बळ देतोय जगण्याचे मानवाशी

Started by Atul Kaviraje, May 15, 2022, 12:50:17 AM

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Atul Kaviraje

                  विषय  : गावोगावी  स्थापिलेत  सौर  ऊर्जा  प्रकल्प
                         वास्तव  आधुनिक  तंत्रज्ञान  चारोळ्या
            "सूर्य जोवर तळपतोय आकाशी,बळ देतोय जगण्याचे मानवाशी"
                                         (भाग-2)
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(6)
उपग्रहाचे  फिरता  डोळे  दिपून  गेले  आकाशी
कळेना , पृथ्वीवर  प्रति -"सूर्य"  कोठून  उगवला ?
अखंड  पृथ्वी  व्यापिली  होती  'सौर"  आरश्यानी ,
जणू  ती  हिऱ्यासमान  तेजस्वी  चमकत  होती .

(7)
"सौर"  आरसे  आकाशी  तोंड  करून  होते
आपल्या  देवतेस  ते  नमन  करीत  होते
मानव -कल्याणास  आमचा  एक  अंश  येतोय  कामी ,
त्या  तेजोमय  "सूर्यास"  ते  धन्यवाद  देत  होते .

(8)
गाव  आता  गाव  राहीले  नव्हते
गावकरी  उजळ  माथ्याने  वावरत  होते
जागोजागी  स्थापिलेल्या  "सौर  ऊर्जा  प्रकल्पाने" ,
त्यांचे  अंधारी  जीवन  उजळून  टाकले  होते .

(9)
संपूर्ण  वीज  खाते  सुट्टीवर  गेले  होते
त्यांना  काही  कामच  उरले  नव्हते
फक्त  माफक  वीज -बिल  वाटपा -व्यतिरिक्त ,
त्यांचे  सारे  काम  'सौर"  आरश्यानी  उरकले  होते .

(10)
"सूर्य"  आकाशी  चमकत  हसत  होता
त्याचा  किरण -रुपी  वरदहस्त  मानवाच्या  माथ्यावर  होता
साऱ्या  जीवनाचा  मूल -मंत्र  तोच  तर  होता ,
पृथ्वीवरील  "सौर"  आरश्यांत  तो  आपले  रूप  न्याहाळत  होता .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.05.2022-रविवार.