IIओम सूर्याय नमःII-श्री सूर्याष्टकम (2)

Started by Atul Kaviraje, May 22, 2022, 12:13:13 AM

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Atul Kaviraje

                                        IIओम सूर्याय नमःII
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज रविवार. तेजोमय भास्कराचा वार. आज ऐकुया, श्री सूर्याष्टकम.

     यहाँ Surya Ashtakam Lyrics श्री सूर्याष्टकम लिरिक्स अर्थ सहित और इसे हिंदी व English में भी दिया जा रहा है और उम्मीद है कि यह Surya Ashtakam Lyrics श्री सूर्याष्टकम लिरिक्स अर्थ सहित आपके लिए यह Article Helpful है |

     इस Surya Ashtakam Lyrics With Meaning श्री सूर्याष्टकम लिरिक्स अर्थ सहित का प्रति रविवार सुबह जल्दी उठकर सनान के उपरांत पाठ किया जाए तो जल्दी फल मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। पुराणों में इस पाठ को तुरंत फल देने वाला बताया गया है।

                                      श्री सूर्याष्टकम (2)
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बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् |
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ||6||

भावार्थ: जो दुपहरिया के पुष्प समान रक्तवर्ण और हार तथा कुण्डलों से विभूषित हैं, उन एक चक्रधारी सूर्यदेव को मैं प्रणाम करता हूँ |

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् |
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ||7||

भावार्थ: महान तेज के प्रकाशक, जगत के कर्ता, महापापहारी उन सूर्य भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ |

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् |
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ||8||

भावार्थ: उन सूर्यदेव को, जो जगत के नायक हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्ष को भी देते हैं, साथ ही जो बड़े-बड़े पापों को भी हर लेते हैं, मैं प्रणाम करता हूँ।

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् |
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ||9||

भावार्थ: इस सूर्याष्टकम के आठों श्लोको का जो नित्य प्रतिदिन पाठ करता है उसे पुत्र रत्न कि प्राप्ति होती है और घर धनधान्य से परिपूर्ण हो जाता है |

अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने |
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ||10||

भावार्थ: यदि सूर्याष्टकम पाठ करने वाला मांस-मदिरापान करता है तो वह सात जन्मों तक रोगग्रष्त रहता है और जन्म-जन्मान्तर तक दरिद्रता का भोग करता है |

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने |
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ||11||

भावार्थ: सूर्याष्टकम पाठ करने वाला स्त्री, तेल (सरसों) एवं मांस व मदिरा का परित्याग कर दे (ब्रम्ह्चर्ज व्रत का पालन करे) तो तमाम प्रकार के रोग और व्याधियां उसे कभी नहीं व्याप्त करती हैं और अंत में वह परम सूर्यलोक में निवास करता है |

--सूर्याष्टकम के लाभ--

     इस सूर्याष्टकम के आठों श्लोको का जो नित्य प्रतिदिन पाठ करता है उसे पुत्र रत्न कि प्राप्ति होती है और घर धनधान्य से परिपूर्ण हो जाता है |

     भगवान सूर्य की पूजा का उल्लेख वैदिक युग से किया गया है | सूर्य को ऋग्वेद में चल संपत्ति की आत्मा कहा गया है | सूर्य को सामाजिक प्रतिष्ठा, आत्म-सम्मान और कार्य आदि का कारक माना गया है।

     कहा गया है कि सूर्य प्रकाश, ऊर्जा, गर्मी और जीवन शक्ति का ज्ञान प्रदान करता है | सूर्य की स्थिति वैदिक शास्त्रों में कुंडली में अत्यंत महत्वपूर्ण है | यदि कुंडली में सूर्य हर तरह से मजबूत है, तो व्यक्ति की हर समय समाज में प्रतिष्ठा रहेगी। ।

     सूर्य का प्रभाव आंखों पर, सिर पर, दांत, नाक, कान, रक्तचाप, नाखून और हृदय पर पड़ता है | ये समस्याएं तब होती हैं जब कोई व्यक्ति सूर्य से अनभिग्य होता है, साथ ही जब सौर कुंडली में पहला, दूसरा, चौथा या आठवें घर में बैठता है | फिर व्यक्ति को शांति के लिए अपने उपचार के साथ एक सूर्य उपचार करना चाहिए |

     यदि कोई रविवार को 11 बार सूर्य मंत्र का पाठ करता है, तो वह व्यक्ति प्रसिद्ध है | आप सभी कार्यों में सफल हैं |

     सूर्याष्टकम पाठ करने वाला स्त्री, तेल (सरसों) एवं मांस व मदिरा का परित्याग कर दे (ब्रम्ह्चर्ज व्रत का पालन करे) तो तमाम प्रकार के रोग और व्याधियां उसे कभी नहीं व्याप्त करती हैं और अंत में वह परम सूर्यलोक में निवास करता है |


                      (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-सुरसरिता टेक्नो.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.05.2022-रविवार.