II माँ सरस्वती प्रसन्न II-श्री सरस्वती चालीसा-चालीसा क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, July 22, 2022, 12:37:48 AM

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Atul Kaviraje

                                    II माँ सरस्वती प्रसन्न II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शुक्रवार. देवीचा वार. आज ऐकुया, श्री सरस्वती चालीसा .

     श्री सरस्वती चालीसा Shri Saraswati Chalisa Saraswati Bhajan सरस्वती भजन हिंदी भजन लिरिक्स Sung By : Upasana Mehta This version of song is written by Traditional श्री सरस्वती चालीसा Shri Saraswati Chalisa Saraswati Bhajan सरस्वती भजन हिंदी भजन लिरिक्स Publisher : Upasana Mehta Bhajan It is written very beautifully, if you like this song, then share it with others, share it with your friends or Facebook or Whatsapp and give us support.

     Songs Info : बहुत ही सुन्दर गाना हैं श्री सरस्वती चालीसा Shri Saraswati Chalisa Saraswati Bhajan सरस्वती भजन हिंदी भजन लिरिक्स | Shri Saraswati Chalisa Saraswati Hindi Bhajan Lyrics जिसे लिखा हैं Traditional और गया हैं Upasana Mehta बहुत ही सुन्दर तरह से लिखा गया हैं अगर ये गाना आपको अच्छा लगा तो दुसरो के साथ भी शेयर करे अपने दोस्तों या Facebook या Whatsapp पर शेयर करे और हमें सहयोग प्रदान करे .


                                   "श्री सरस्वती चालीसा"
                                     चालीसा क्रमांक-१
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दोहा:-
जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुजधारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥

तबहि मातु ले निज अवतारा।
पाप हीन करती महि तारा॥
वाल्मीकि जी थे ब्रह्म ग्यानी
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामायण जो रचे बनाई।
आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता।
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥

राखु लाज जननी अब मेरी।
विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥


गायिका : उपासना मेहता
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                       (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-भक्तिगाने.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.07.2022-शुक्रवार.