वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-4-आर्द्रा

Started by Atul Kaviraje, July 27, 2022, 01:17:37 AM

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Atul Kaviraje

                                       "वर्षा ऋतु कविता"
                                          कविता-पुष्प-4
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते -तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                            "आर्द्रा"
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घर की मकड़ी कोने दुबकी
वर्षा होगी क्या ?
बाईं आँख दिशा की फड़की
वर्षा होगी क्या ?

सुन्नर बाभिन बंजर जोते
इन्नर राजा हो !
आँगन-आँगन छौना लोटे
इन्नर राजा हो !

कितनी बार भगत गुहराए
देवी का चौरा
भरी जवानी जरई सूखे
इन्नर राजा हो !

आगे नहीं खिसकता सूरज के
रथ का पहिया
भुइंलोटन पुरवैया चहकी
वर्षा होगी क्या ?

छाती फटी कुआँ-पोखर की
धरती पड़ी दरार
एक पपीहा तीतरपाखी
घन को रहा पुकार

चील उड़ें डैने फैलाए
जलते अम्बर में
सहमे-सहमे बाग-बगीचे
सहमे-से घर-द्वार

लाज तुम्ही रखना पियरी की
हे गंगा मैया
रेत नहा गौरैया चहकी
वर्षा होगी क्या?

--बुद्धिनाथ मिश्र
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                                    (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                        (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.07.2022-बुधवार.