वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-8-ख़यालों के स्वेटर

Started by Atul Kaviraje, July 31, 2022, 01:07:57 AM

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Atul Kaviraje

                                      "वर्षा ऋतु कविता"
                                        कविता-पुष्प-8
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते -तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                       "ख़यालों के स्वेटर"
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घटाएं आज बढ़ती जा रही हैं
दिखाने पर्बतों को रोब अपना
हवाओं को भी साथ अपने लिया है।
खड़े हैं तान कर सीने को पर्वत
एक दूसरे का हाथ थामे
कि अब घेराव पूरा हो गया है
गरजने लग गई है काली बदली
सुनहरे पर्वतों के रंग फीके पढ़ गये हैं
मटमैली हुई जाती है उजली उजली पिंडर
वही कुछ दूर पल्ली बस्तियों में
लाल पीले नीले उजाले हो गये हैं
कि जैसे काली काली चुन्नियों पर
कोई सितारों की कढ़ाई कर गया हो
दरीचे से मैं बैठा देखता हूँ
कि दुनिया शांत होती जा रही है
कि जैसे बुद्ध का वरदान हो ये
और मैं अपने ज़ेहन में ख़यालों के स्वेटर बुन रहा हूँ।

--अभिषेक कुमार अम्बर
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                                   (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                        (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.07.2022-रविवार.