वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-13-चीड़ों पर बारिश

Started by Atul Kaviraje, August 05, 2022, 12:57:46 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                       कविता-पुष्प-13
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते -तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                      "चीड़ों पर बारिश"
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चीड़ वनों पर बारिश हो रही है
घुंघराले बालों से बूँद-बूँद
टपक रहा पानी
छरहरे तनों पर बारिश हो रही है
तन के पहाड़ों वादियों से
चू रहा मेह।

तराशी बाहें परस्पर लिपटी
एक दूसरे की छाती में
छिपे बदन
रिमझिम हँसी पूरे जंगल में छिटक गई है ।

उमंगे नाच रहीं
पास के तरवर में ।
रास्ता बनाती यह सड़क
फिसल कर उठेगी
घने बियाबन में छिप जाएगी
वहाँ घोंसलों में कँपते सिकुड़े
शावक
अपलक विहार रहे हैं
ख़ूबसूरत देवदारु का छालहीन तना
कितना भूरा निकल आया हैं
चीड़ वनों पर बारिश हो रही है ।

फूत्कार से गुंजायमान
यह नीरव प्रदेश
सौरभ से महक रहा है
कटीली भवों सा खिंच आया इंद्रधनु
उधर ऊपर
शायद कोई गिरजा है
शायद कोई गुफ़ा

वहाँ कुछ हो रहा है
लाल सूरज
बादलों की ओट में झूल गया है
और जंगल धू-धू कर जल उठा
आओ इन फूलों को चुनकर
नीचे उतर चलें ।

--कर्णसिंह चौहान
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                                   (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                        (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.08.2022-शुक्रवार.