वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-16-जुड़वाँ बच्चे बारिश के

Started by Atul Kaviraje, August 08, 2022, 01:18:27 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "वर्षा ऋतु कविता"
                                       कविता-पुष्प-16
                                     -----------------

मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                    "जुड़वाँ बच्चे बारिश के"
                                   ----------------------

टिप-टिप टिप-टिप
नन्हीं झींसियों से नम
पहली बारिश की सुबह
नर्म-नर्म-नर्म

किन-किन कोनों से
उचक-उचक झांकता
बिछल-बिछल नजरों से
भाग-भाग जाता

रंग एक अजनबी
गूंजता कहां-कहां
उलांचता-कुलांचता
सरगम के तारों पर

एक सुर अनोखा
एक रंग बेनाम
एक सुर बेनाम
जुड़वां बच्चे बारिश के

सभी को छकाते हुए
खेल रहे-खेल रहे
खेल रहे-खेल रहे
घुले-घुले धुले-धुले

भीगी हुई माटी की
गंध से मतवाले हम
बादलों को छूती
मीनारों से बेखौफ

बेपरवा सबके सब
दिव्य-भव्य ढांचों से
सभी को छकाते हुए
खेल रहे-खेल रहे

खेल रहे जाते हुए
याद की हदों के पार
उस आदिम बारिश की
आदिम संतानें हम

उड़ रहे फुहारों में
लाखों साल आर-पार
बरस रहे झींसियों में
टिप-टिप टिप-टिप

--चंद्रभूषण
----------

                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
                     -----------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.08.2022-सोमवार.