II येवा कोकण आपलोच आसा II-मालवणी गौळणी क्रमांक-१-हे गोकुळ नकोस झालं

Started by Atul Kaviraje, August 10, 2022, 03:33:17 PM

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Atul Kaviraje

                              II येवा कोकण आपलोच आसा II
                                       मालवणी गौळणी
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मित्र/मैत्रिणींनो,

        आज  ऐकुया, माझ्या गावच्या मातीची काही भजने, कीर्तने, गौळणी इत्यादी . माझे मूळ गाव कोकण. या कोकणातील मालवण तालुक्यात, सिंधुदुर्ग  जिल्ह्यातील एक गाव पेंडूर. त्या पेंडूरातील माझे एक घर. असो, आज ऐकुया या कोकणाची  काही पारंपरिक गौळणी. आजच्या गौळणीचे बोल आहेत- "हे गोकुळ नकोस झालं"


                                  मालवणी गौळणी क्रमांक-१
                                   "हे गोकुळ नकोस झालं"
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हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  कान्हान  हैराण  केलं
हे  हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  या  कान्हान  हैराण  केलं
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना

हे , मध्ये  आडवा  का 
काय  काय  तुम्हा  करायचं  काय 
काय  काय  तुम्हा  करायचं  काय 
हे , मज  सोडणार  काय
नाय  नाय , जाऊ  देणार  नाय
नाय  नाय , जाऊ  देणार  नाय
सांगू  आम्ही  घरी  जाऊन  यशोदेला
बांधून  ठेवा  याला  उखळाला
सांगू  आम्ही  घरी  जाऊन  यशोदेला
बांधून  ठेवा  याला  उखळाला
वाटेवरी  येतो ,आडवा  राहतो
वाटेवरी  येतो ,आडवा  राहतो
वाटेवरी  येतो ,आडवा  राहतो
वाटेवरी  येतो ,आडवा  राहतो
नको  नकोसं  याने  केलं
हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  कान्हान  हैराण  केलं
हे  हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  या  कान्हान  हैराण  केलं
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना

हे,  हा  तर  दिसतोय  चोर 
नाय  नाय  असा  कोण  बोलतोय
नाय  नाय  असा  कोण  बोलतोय
हे,  हा  तर  नंदाचा  पोर
होय  होय  हाच  गोकुळचा  चोर
होय  होय  हाच  गोकुळचा  चोर
वाटेला  त्याच्या  जाऊ  नका
मस्करी  त्याची  करू  नका
वाटेला  त्याच्या  जाऊ  नका
मस्करी  त्याची  करू  नका
धरा  धरा  याला
सोडू  नका  त्याला
धरा  धरा  याला
सोडू  नका  त्याला
याने  गोकुळात  धुमशान  घातलं
हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  कान्हान  हैराण  केलं
हे  हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  या  कान्हान  हैराण  केलं
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना

अगं  हे,  हा  तर  एकटा  हाय
नाय  नाय  संगे  सुदामा  हाय
नाय  नाय  संगे  सुदामा  हाय
अरे  हे,  घडे  फोडणार  हाय
होय  होय  लोणी  खाणार  हाय
होय  होय  लोणी  खाणार  हाय
दुसऱ्या  वाटेने  जाऊ  चला
लोण्याचा  घडा  लपवू  चला
दुसऱ्या  वाटेने  जाऊ  चला
लोण्याचा  घडा  लपवू  चला
कान्हा  खोड्या  काढण्यात  रमला   
हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  कान्हान  हैराण  केलं
हे  हे  गोकुळ  नकोस  झालं
या  या  कान्हान  हैराण  केलं
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना

जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब  ना  थांब  ना  थांब  ना
जरासा  हो  बाजूला 
नि  इथं   जरा  थांब.

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बुवा-सुनील कणसे, संतोष रेडकर, चंद्रकांत कदम,
        भगवान लोकरे, नारायण वाळवे.
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                      (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-मालवणी गौळणी)
            (संदर्भ-नैना-डबलबारी भजन-शक्ती-तुरा-नमन-दशावतार नाटक)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.08.2022-बुधवार.