गण गवळण-आठवे पुष्प-या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला

Started by Atul Kaviraje, August 10, 2022, 03:44:18 PM

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Atul Kaviraje

                                       "गण गवळण"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     "गण-गौळण" या वग-गीत प्रकारातले माझे "आठवे पुष्प" मी सादर करीत आहे . या गौळणीचे बोल आहेत- "या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला"

                                       आठवे पुष्प
                           "या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला"
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रुतला  पायी  काटा , काटा  हा  काढिला
रुतला  पायी   काटा ,  काटा  हा  काढिला
काटा  हा  काढिला ,काटा  हा  काढिला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

कसा  दिसतो  ग  कृष्ण  मुरारी
रूप  आहे  ग  गोजिरवाणी
कसा  दिसतो  ग  कृष्ण  मुरारी
रूप  आहे  ग  गोजिरवाणी
नाद  बासुरीचा  येतो  ग  कानी
मनी  होते  ग  अशी  धुळधाणी
या  कान्हाचा  बाई  कसा  छंद  जडीला   
या  कान्हाचा  बाई  कसा  छंद  जडीला   
छंद  जडीला  ,छंद  जडीला 
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

गोकुळ  नगरीत   गर्दी  ही  सारी
इथं  जमल्या  ग  गोपिका  नारी
गोकुळ  नगरीत   गर्दी  ही  सारी
इथं  जमल्या  ग  गोपिका  नारी
बासुरी  वाजवी  हो  कृष्ण  मुरारी
नाद  आहे  ग  सुंदर  भारी
या  बासरीचा  नाद  कसा  कानी  पडला ,
या  बासरीचा  नाद  कसा  कानी  पडला ,
कानी  पडला, कानी  पडला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

या  कान्हाला  सांगावे  काय
म्हणे  कुणाचेच  ऐकत  नाय
या  कान्हाला  सांगावे  काय
म्हणे  कुणाचेच  ऐकत  नाय
खोड्या  काढीत  काढीत  जाय
लपून  छपून  हा  बघतच  राय
या  देवाने  बाई  कसा  निरोप  धाडीला
या  देवाने  बाई  कसा  निरोप  धाडीला
निरोप  धाडीला ,निरोप  धाडीला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

एका  जनार्दनीं  मथुरेची  राधा
दह्यादुधाचा  अमुचा  धंदा
एका  जनार्दनीं  मथुरेची  राधा
दह्यादुधाचा  अमुचा  धंदा
नको  हिणवू  मला  तू  गोविंदा
त्याने  आवाज  होई  असा  मुकुंदा
या  वृंदावनी  बाई  कसा  आवाज  घुमूला
या  वृंदावनी  बाई  कसा  आवाज  घुमूला
आवाज  घुमूला , आवाज  घुमूला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

रुतला  पायी  काटा , काटा  हा  काढिला
रुतला  पायी   काटा ,  काटा  हा  काढिला
काटा  हा  काढिला ,काटा  हा  काढिला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या  कान्हान बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला
या कृष्णानं बाई माझा माठ फोडीला, हा  माठ  फोडिला

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--SINGER UNKNOWN
गितकार व संगितकार-विजय पोपेरे
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                                (संदर्भ-पारंपरिक गवळणी)
                          (साभार-यु ट्यूब-सौजन्य-सुमित म्युझिक)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.08.2022-बुधवार.