वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-20-तेज़ बारिश हो या हल्की,भीग जाएँगे ज़रूर

Started by Atul Kaviraje, August 12, 2022, 01:03:25 AM

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Atul Kaviraje

                                      "वर्षा ऋतु कविता"
                                       कविता-पुष्प-20
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                        "तेज़ बारिश हो या हल्की,भीग जाएँगे ज़रूर"
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तेज़ बारिश हो या हल्की भीग जाएँगे ज़रूर
हम मगर अपनी फटी छतरी उठाएँगे ज़रूर

दर्द की शिद्दत से जब बेहाल होंगे दोस्तो
तब भी अपने आपको हम गुदगुदाएँगे ज़रूर

इस सदी ने ज़ब्त कर ली हैं जो नज़्में दर्द की
देखना उनको हमारे ज़ख़्म गाएँगे ज़रूर

बुलबुलों की ज़िन्दगी का है यही बस फ़ल्सफ़ा
टूटने से पेशतर वो मुस्कुराएँगे ज़रूर

आसमानों की बुलंदी का जिन्हें कुछ इल्म है
एक दिन उन पक्षियों को घर बुलाएँगे ज़रूर.

--ज्ञान प्रकाश विवेक
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                                  (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                       (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.08.2022-शुक्रवार.