वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-23-धार पर पीले पुष्पों की बारिश

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2022, 01:50:42 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-23
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                "धार पर पीले पुष्पों की बारिश"
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उस देह में
एक रुकी हुई नदी थी
छूते ही उमड़ पड़ी
वर्षों के खर-पतवार कीच-क्लेश बह गए
बह गया बासीपन, उदासी
स्वच्छ जल में अपना हँसता हुआ चेहरा देखते हुए
उसे सहसा विश्वास नहीं हो रहा था
धार पर यह पीले पुष्पों की बारिश थी ।

--अरुण देव
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2022-सोमवार.