वैचारिक लेख-(लेख क्रमांक-3)-ब्रह्मकुमारी नीता-धन्यवाद मंत्र

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2022, 08:39:55 PM

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Atul Kaviraje

                                       "वैचारिक लेख"
                                      (लेख क्रमांक-3)
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मित्र/मैत्रिणींनो,

      "विविध विषयांवरील वैचारिक लेख", या कविता-लेख मालिके अंतर्गत, आज वाचूया (लेख क्रमांक-3) . या कविता-लेखाचे शीर्षक आहे "धन्यवाद मंत्र" आणि लेखिका  आहेत-"ब्रह्मकुमारी नीता"

                                    "ब्रह्मकुमारी नीता"
                                      "धन्यवाद मंत्र"
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    जीवन  म्हणजे  ऊन -पावसाचा  खेळ . "जगी  सर्व  सुखी  असा  कोण  आहे ".....असे  म्हटले  जाते .

     जेव्हा  आपण  आपल्यापेक्षा  कठीण  परिस्थितीमध्ये  जगणाऱ्या  लोकांना  बघतो , तेव्हा  जे  आपल्याला  मिळाले ,ते  किती  चांगले  होते  त्याची  जाणीव  होते . खरंच , कधी  अंतर्मनात  झाकून  बघा . जीवनाच्या  प्रवासाला  न्याहाळा , खूप  काही  आपल्या  पदरात  नशिबाने  पडले  आहे . कदाचित  त्या  वेळी  त्याची  किंमत  समजली   नसेल ,पण  त्या  वेळी  ती  व्यक्ती , वस्तू ....आपल्यापासून  दूर  जाते  तेव्हा  त्याची  किंमत  आपल्याला  समजते . असं  का   होते   ? कारण  त्या  व्यक्ती , वस्तू  प्रसंगाप्रती  आदर  न  बाळगता , त्यात  किती  चुका  आहेत  हेच  बघण्याची  वृत्ती  असते , ह्यामुळे  त्या  गोष्टी  आपल्यापासून  दूर  जातात . "व्यक्तींमध्ये  कमी  काढत  राहिले  तर ,त्या  व्यक्तीची    कमी  आयुष्यात  कधी  ना  कधी  अनुभवावी  लागते ", हा  नियम  आहे . म्हणून  जे  नेहमी  आपल्याला  लाभले  त्याचा  सत्कार  करा , आभार  व्यक्त  करा .

       ह्या   शरीर  रुपी  गाडीमध्ये  बसून  हा  प्रवास  सुरु  झाला . ह्या  शरीराचे  रोज  आभार  माना . जर  हे   शरीर  स्वस्थ  नसेल , तर  जीवनाचा  प्रवास  टुकू  टुकू  चालेल . पण  शरीराची  साथ  असेल  तर ,सर्व  काही  प्राप्त  करणे  सहज  होईल . आपल्या  प्रत्येक  अंगांना  रोज  धन्यवाद  करा . कारण  ही  आपली  स्वतःची  संपदा  आहे . "HEALTH IS WEALTH", असे  म्हटले  जाते . स्वास्थ्य  ठीक  नसेल  तर ,छोटी  छोटी  कामेही  कठीण  वाटू  लागतात . म्हणून  ह्या  शरीराशी  रोज  संवाद  साधा . प्रत्येक  अवयवांना  प्रेमाचा  स्पर्श  द्या . त्यांच्या  स्वस्थ  होण्यामुळे  मी  किती  सुखी  आहे , हे  स्वतःला  समजावा . असे  केल्याने  शरीराचे  सर्व  अंग  नीट  काम  करू  लागतील . जसे  एखाद्या  कंपनीचा  मालक  जर  प्रत्येक  डिपार्टमेंट  मध्ये  जाऊन ,लहान  मोठ्या  सर्वांची  काळजी  घेत  असेल , तर  ती  कंपनी  चांगली  प्रगती   करताना  दिसते . तसेच  शरीर  ही आत्म्याची  कंपनी  आहे . आपण  ह्या  तनाची  चांगली   देखभाल  केली , तर  आपल्या  कार्याची  गती  वाढून , सर्वोपरी  विकास  होऊ  लागेल . म्हणून  शरीराचे  आपल्या  जीवनातले  महत्त्व  समजून  त्याची  काळजी  घ्यावी . रोज  मनापासून  ह्याचे   आभार  मानावे .   

     ह्या  छोट्याश्या  आयुष्यात  अनेक नाती ,संबंध मिळाले . प्रत्येकाचे  महत्त्व  वेगळे . रोज  सकाळी  पेपर , दूध  दरवाज्या  पर्यंत  पोहोचवणाऱ्या  पासून  अगदी  जवळची  नाती  (पती ,पत्नी , मुलं .....)ह्या  सर्वांचे  महत्त्व  आहे . "एखादी  व्यक्ती  माझ्या  जीवनात  नसेल  तर  मला  चालेल  " हा  फाजील  अभिमान  बाळगू  नये . कोणास  ठाऊक  आयुष्यात  असा  प्रसंग ,आपल्या  समोर  येईल  कि , ज्याने  त्या  व्यक्तीची   उणीव  वारंवार  मनाला  टोचत  राहील . म्हणून  जे  आणि  जसे  मिळाले ,त्याचा  स्वीकार  करा . आजच्या  पिढीला  आपलेच  आई -वडील  किती  बुरसटलेल्या  विचारांचे , अडाणी  वाटतात . पण  लहान  असताना  त्यांनी  ज्या  हाल  अपेष्टा  सहन  करून  आपल्याला  मोठे  केले , स्वतःच्या  तोंडचा  घास  काढून  आपल्याला  भरवले . ह्या  सर्व  गोष्टी  मुलं  वेळेनुसार  विसरत  जातात . व  ज्या  थोड्या  उणिवा  राहिल्या  त्यांना  मनामध्ये  ठेवून ,सतत  दोष  देत  राहतात . हे  कितपत  बरोबर  आहे , हा  प्रत्येकाने  विचार  करावा . जे  लाभले  त्याबद्दल , मनापासून  आभार  व्यक्त  करा . जितके  धन्यवाद   करू  तितके  धन्यवाद   करण्याचे  अनेक  प्रसंग  जीवनात  येतील .

     वस्तू , पदार्थ , प्रकृती  सर्वांची  आवश्यकता   आपल्याला   आहे . त्यांच्याशिवाय  आपले  जीवन  निरस  आहे . म्हणून  त्यांनाही  हृदयाच्या  निर्मल  भावनांनी  धन्यवाद  द्या . तसेच , ज्या  ईश्वराने  वेळोवेळी  आपल्याला  मदत  केली , जिथे  सगळ्या  आशा  संपल्या  होत्या , अशा  वेळी  जीवन  सुखांनी  भरून  टाकले , अश्या  त्या  परम  सत्याला , धन्यवाद करायला  विसरू  नका . हा  धन्यवाद  मंत्र  सतत  जपत  राहिले , तर  कधीच  दुःखाची  झळ  आपल्याला  लागू  शकणार  नाही .

--ब्रह्मकुमारी नीता
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                    (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-मराठीसृष्टी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2022-सोमवार.