वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-31-बरखा

Started by Atul Kaviraje, August 23, 2022, 01:29:05 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-31
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                       "बरखा"
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किसी देवांगना के
स्नात केशों से गिरे मोती
विदाई में
अषाढ़ी बदलियों ने
अश्रु छलकाए
किसी की पायलों के घुँघरुओं ने
राग है छेड़ा
किसी गंधर्व ने आकाश
में पग आज थिरकाए

उड़ी है मिटि्टयों से सौंध जो
इस प्यास को पीकर
किसी के नेह के उपहार का
उपहार है शायद
चली अमरावती से आई है
यह पालकी नभ में
किसी की आस का बनता
हुआ संसार है शायद

सुराही से गगन की एक
तृष्णा की पुकारों को
छलकता गिर रहा मधु आज
ज्यों वरदान इक होकर
ये फल है उस फसल का जो
कि आशा को सँवारे बिन
उगाई धूप ने है
सिंधु में नित बीज
बो बो कर

--राकेश खंडेलवाल
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                                (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                     (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.08.2022-मंगळवार.