वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-33-बरखा का एक दिन

Started by Atul Kaviraje, August 25, 2022, 01:14:51 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-33
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                    "बरखा का एक दिन"
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हवा बही जब बड़े ज़ोर से
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
मन में उठी कुछ ऐसी झंझा
दिल थाम कर रह गए हम

गरजे मेघा झूम-झूम कर
जैसे बजा रहे हों साज
ता-ता थैया नाचे धरती
ख़ुशियाँ मना रही वह आज

भीग रही बरखा के जल में
तेरी कोमल चंदन-काया
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
घेरे है रति की माया

--अनातोली परपरा
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.08.2022-गुरुवार.