वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-39-बरसा बरस रही चहूँ ओर

Started by Atul Kaviraje, August 31, 2022, 11:50:08 AM

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Atul Kaviraje

                                      "वर्षा ऋतु कविता"
                                       कविता-पुष्प-39
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                  "बरसा बरस रही चहूँ ओर"
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घन गरजत हरषत सखी जियरा, नाचत बन में मोर ||

पीहूं-पीहूं रटत पपैया प्यारा, हँसत-हँसावत श्याम हमारा |
श्यामा परम मनोहर मनहर, प्रीतम नंद किशोर ||

दादुर धुनि सुनी-सुनी सुख उपजत, कोयल मधुर स्वरन ते कूंकत |
राधा का राजा कृष्णा प्यारा, लेवे मन चित चोर ||

बिजरी चमकत हे गिरधारी, बीती पल-पल रैना सारी |
तू मन मोहन ईश्वर मेरा, मैं तेरी गणगौर ||

गोपीनाथ राधिका प्यारी, सुखी संत महिमा लखी भारी |
सदा सुखी शिवदीन भजन कर, होकर प्रेम विभोर ||

--शिवदीन राम जोशी
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.08.2022-बुधवार.