II माता दुर्गा प्रसन्न II-माता दुर्गा भजन-हाल पूछ लै गरीबां दा

Started by Atul Kaviraje, September 02, 2022, 08:18:22 PM

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Atul Kaviraje

                                   II माता दुर्गा प्रसन्न II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शुक्रवार. देवीचा वार. आज ऐकुया, माता दुर्गा भजन .या भजनIचे बोल आहेत- "हाल पूछ लै गरीबां दा"
 
     Haal Puch Lay Gareeban Da Durga Hindi Bhajan Lyrics Sung By : Gaurav Chatrath This version of song is written by BALBIR NIRDOSH JI Haal Puch Lay Gareeban Da Durga Hindi Bhajan Lyrics Publisher : Gaurav chatrath It is written very beautifully, if you like this song, then share it with others, share it with your friends or Facebook or Whatsapp and give us support.

     Songs Info : बहुत ही सुन्दर गाना हैं Haal Puch Lay Gareeban Da Durga Hindi Bhajan Lyrics | हाल पूछ लै गरीबां दा दुर्गा हिंदी भजन लिरिक्स जिसे लिखा हैं BALBIR NIRDOSH JI और गया हैं Gaurav Chatrath बहुत ही सुन्दर तरह से लिखा गया हैं अगर ये गाना आपको अच्छा लगा तो दुसरो के साथ भी शेयर करे अपने दोस्तों या Facebook या Whatsapp पर शेयर करे और हमें सहयोग प्रदान करे .

                                   माता दुर्गा भजन
                              "हाल पूछ लै गरीबां दा"   
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सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
दुनिया दे ठुकराया दी फड़ लै बांह,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा......
सूलां दे माँ फर्श ते तुरके,
हर पल लंगदा ओखा,
मुद्दत हो गयी असां नु आया,
इक भी साह ना सोखा,
महा दयालु दाती जे तेरा ना,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा......

कलियों कुली काया ते चल गयी,
कर्मा दी कुल्हाड़ी,
कहर दी सूली उत्ते एह जिंद,
माड़े दिना ने चाड़ी,
धूपा अंदर मेहर दी करके छा,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा......

सुख दी खिड़ी दुपहर ते छा गए,
दुःख दे बदल काले,
लगदा तू माँ साथो लुको लए,
ज्योता दे भी उजाले,
नज़र स्वली करके माँ हुन तार,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा......

दुनिया रुसदी रुसे बेशक,
तू ना रूसी माइये,
किरपा कर निर्दोष माँ एथों,
खुशियां लैके जाईये,
श्रद्धा नाल हथ जोड़ के अर्ज़ करा,
हाल पूछ लै गरीबां दा,
सोने दे भवना अंदर वसदी... माँ,
हाल पूछ लै गरीबां दा......

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गायक : गौरव  चत्रात 
गीतकार : बलबीर निर्दोष जी
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                     (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-भक्तिगाने.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.09.2022-शुक्रवार.