वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-42-बादल आ गए हैं

Started by Atul Kaviraje, September 03, 2022, 09:36:38 PM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-42
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                    "बादल आ गए हैं"
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अब मुझे किसी बात की चिन्ता नहीं
नहीं है कोई डर
बादल आ गए हैं
दफ़्तर से लौटने पर
मैंने देखा घर में
बारिश की दो बूँदें
तुम्हारे माथे पर पड़ी थीं
कोई बादल ही था
जो छिपा हुआ था
पीछे तुम्हारे काले जूड़े में
उसी दिन मुझे
उस बादल से
तुमसे बहुत प्यार हो गया था
चलते-चलते अन्धेरे में
जैसे मैं जंगल से पार हो गया था।

--विमल कुमार
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                     (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-03.09.2022-शनिवार.