हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-6-वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली

Started by Atul Kaviraje, September 04, 2022, 08:46:51 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-6
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-6. इस कविता का शीर्षक है- "वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली"

                         "वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली"
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वो बोलता रहा इक बात ना नयी निकली,
जो उसने बोला वो सब बात ही कही निकली!

सुनाता सबको अगर मैं कहीं गलत होता,
यकीन मानो न मुझमें कोई कमी निकली!

जो शक था मेरा मेरे वो भी सामने आया,
खुशी हुई कि मेरी उलझने सही निकली!

मुझे तलाश थी जिस चीज़ की जमाने में,
वो चीज मेरे ही आंगन में तब छुपी निकली!

भुलाना चाहा तो वो याद फिर बहुत आयी,
वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली!!
🥀❣️✍🏻

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.09.2022-रविवार.