हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-7-ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2022, 08:12:06 PM

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Atul Kaviraje

                                      "हिंदी कविता"
                                      पुष्प क्रमांक-7
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-7. इस कविता का शीर्षक है- "ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं"

                               "ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं"
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गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं,
दोनों इंसान हैं खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं।

गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां,
वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं।

अपने अपने रास्तों पे दोनो का सफ़र जारी रहा,
एक लम्हें को रुका तु भी नहीं मैं भी नहीं ।

चाहते बहुत थे दोनों एक दूसरे को
मगर ये हक़ीक़त मानता तु भी नहीं मैं भी नहीं।

गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं,
दोनों इंसान हैं ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं।
😇❣️✍️

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.09.2022-सोमवार.