वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-49-बारिश-1

Started by Atul Kaviraje, September 10, 2022, 10:50:41 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                   "वर्षा ऋतु कविता"
                                    कविता-पुष्प-49
                                  -----------------

मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                      "बारिश-1"
                                     -----------

बसंत की भाप हैं बादल

बारिश एक दृष्टिभ्रम है –
सिर्फ़ पृथ्वी देख पाती
आसमान से वनस्पतियों का उतरना

बूंदों में कितने भिन्न
और असंख्य बीज
मिट्टी की इच्छा और अनिच्छा से भरपूर

मिट्टी के हर एक कण पर
लहराता है हरा परचम

बारिश कितनी बड़ी तसल्ली है
कि मवेशी अब
किसी दया के मोहताज नहीं

स्वाधीनता का उत्सव है बारिश

--हेमन्त देवलेकर
---------------

                                (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                    (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
                   ----------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.09.2022-शनिवार.