वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-50-बारिश-2

Started by Atul Kaviraje, September 11, 2022, 10:59:07 AM

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Atul Kaviraje

                                   "वर्षा ऋतु कविता"
                                    कविता-पुष्प-50
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                      "बारिश-2"
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रिमझिम बारिश हो रही है
जैसे आसमान से झर रहा है आटा

मिट्टी के रोम-रोम :
चींटियों के असंख्य अकुलाए मुँह

घास पर थिर हैं
बारिश के मोती
जैसे नन्ही हथेलियों में
चिरौंजी के दाने

धूप आ गई
पल भर में घास
जगमगाते हीरों की खदान में बदल गई

सूर्य को
करोड़ों परमाणुओं में बाँटने का
करिश्मा है बारिश

नहाया सूर्य
इस वक़्त ठीक सिर के ऊपर है
सोचता हूँ
इंद्रधनुष अभी कहाँ उगा होगा
क्या यह खिली हुई घास
इंद्रधनुष का ही रंग है?

--हेमन्त देवलेकर
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                               (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                    (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.09.2022-रविवार.