हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-13-कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है..

Started by Atul Kaviraje, September 11, 2022, 11:01:43 AM

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Atul Kaviraje

                                      "हिंदी कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-13
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-13. इस कविता का शीर्षक है- "कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है.."

                   "कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है.."
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तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है...
कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है...

सुना है तू हर ज़रे में है रहता,
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है...

जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं,
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है..

तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर,
फिर कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर
क्यों है..
😞✍️

--AUTHOR UNKNOWN
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.09.2022-रविवार.