हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-14-थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ

Started by Atul Kaviraje, September 12, 2022, 10:46:54 AM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-14
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-14. इस कविता का शीर्षक है- "थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ"

                           "थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ"
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थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ
ऐ ज़िन्दगी तेरी हालातों के आगे अभी झुका नही हूँ।

कांच के रिश्ते लिए फिर रहा हूँ इन पत्थरों के शहर में
ठोकरें लग रही है मगर अभी तक टूटा नहीं हूँ।

हम मिले थे शायद किसी रह गुज़र में कभी, गर याद हो तुझे
यकी कर आज भी उस मुलाकात को भुला नहीं हूँ।

यूं तो गम की बारिश रही मुझ पर मुसलसल
पर ख़ुदा के सजदे में कभी भीगा नही हूँ।

जितने थे तूफ़ान सब गुज़र गए मेरी लौ से
जाने किसकी दुआ है जो अभी तक बुझा नही हूँ।
😇🌹✍️

--AUTHOR UNKNOWN
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.09.2022-सोमवार.