हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-18-जीना अभी बाकी है

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2022, 10:39:06 AM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-18
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-18. इस कविता का शीर्षक है- "जीना अभी बाकी है"

                                 "जीना अभी बाकी है"
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गुजर रही है उम्र,
पर जीना अभी बाकी हैं।
जिन हालातों ने पटका है जमीन पर,
उन्हें उठकर जवाब देना अभी बाकी हैं।

चल रहा हूँ मन्जिल के सफर मैं,
मन्जिल कौ पाना अभी बाकी हैं,
कर लेने दो लोगों को चर्चे मेरी हार के,
कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकी हैं ।

वक्त को करने दो अपनी मनमानी,
मेरा वक्त आना अभी बाकी है,
कर रहे है सवाल मुझे जो loser समझ कर,
उन सबको जवाब देना अभी बाकी हैं।

निभा रहा हूँ अपना किरदार जिंदंगी के मंच पर
परदा गिरते ही तालीयाँ बजना अभी बाकी हैं,
कुछ नहीं गया हाथ से अभी तो,
बहुत कुछ पाना बाकी हैं...
✍️✍️✍️

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.09.2022-शुक्रवार.