निबंध-क्रमांक-20-कोरोना वायरस के दौरान जीवन और कार्य पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2022, 07:34:21 PM

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Atul Kaviraje

                                        "निबंध"
                                       क्रमांक-20
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"कोरोना वायरस के दौरान जीवन और कार्य पर निबंध"

              कोरोना वायरस के दौरान जीवन और कार्य पर निबंध--
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     जैसा की हम सब जानते है , कोरोना वायरस ने समस्त दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना वायरस ने पहले चीन पर प्रहार किया और देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपने पंजो में जकड़ लिया।भारत में 46  लाख के पार कोरोना केसेस हो गए है लेकिन लोग जल्दी ठीक भी हो रहे है।  सामाजिक दूरी , कोरोना वायरस से दूर रहने का एकमात्र उपाय है और साथ ही स्वच्छता भी ज़रूरी है। इस साल के शुरुआत से ही हम कोरोना वायरस संकटकाल की विषम परिस्थितियों को झेल रहे है। कई महीनो के लॉकडाउन के कारण , बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अभी पहले की तरह लोग निर्भय होकर कहीं जा नहीं सकते है।  कहीं पर जाने के लिए हमे मास्क, सांइटिज़ेर और ग्लव्स इत्यादि पहनना पड़ता है और लोगो से दूरी बनाये रखनी पड़ती है।

     लॉकडाउन में लोगो ने कौशल क्षेत्र से संबंधित नयी चीज़ें सीखी।  गिटार बजाने से लेकर , फोटोग्राफी और चित्रकारी जैसे कौशल लोगो ने सीखे और उन्हें वक़्त दिया। इसने  बहुत हद तक लोगो को व्यस्त रखा।

     कोरोना वायरस के  दौरान जीवन शैली बहुत प्रभावित हुयी है। कोरोना वायरस के कारण हमारे जीवन में बहुत बदलाव किये है। लोग अपने आस पास स्वच्छता को बनाये रख रहे है। घरो और आसपास के स्थानों में सफाई और सनीटाइज़शन की मांग बढ़ रही है। बच्चो  से लेकर बड़े अपने हाथों को रोज़ाना साफ़ कर रहे है। कोरोना वायरस के वक़्त लोगो ने अपने जीवन में रचनात्मक चीज़ो को एहमियत देना शुरू कर दिया है। लोग अपने घर से दफ्तर का कार्य कर रहे है।  लोग इंटरनेट पर अब ज़्यादा निर्भर हो गए है क्यूंकि सारे काम घर से इंटरनेट के बैगर असंभव है। छोटी बड़ी आईटी कम्पनीज सारे कार्य घर से कर रहे है।  जब तक स्थिति सामान्य ना हो जाए , तब तक ऐसे ही कार्य करने के लिए सब विवश है। हमने वर्क फ्रॉम होम की प्रथा को अपना लिया है।

     हम किसी से हाथ ना मिलाकर , नमस्ते कर सकते है।  नमस्ते बरसो से चली आ रही , भारतीय संस्कृति  की परंपरा है। हालत ऐसे है , जो फिलहाल किसी से भी हाथ मिलाने की इज़ाज़त हमे  नहीं देता  है। संसारभर में लोगो ने  भी हमारे देश की इस प्रथा को अपनाया है।

--👩Rima Bose
(17 September 2020)
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी-एसे.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.09.2022-रविवार.