वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-58-बारिश

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2022, 09:22:05 PM

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Atul Kaviraje

                                  "वर्षा ऋतु कविता"
                                   कविता-पुष्प-58
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                       "बारिश"
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बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना
हरे-भरे उपवन संग नाचें
शीतल मंद पवन, मन कोना
बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना...

उड़कर सोंधी महक धरा से
भावः अलंकृत कर देती है
झूम घटाएँ रिमझिम रिमझिम
हर मन झंकृत कर देती है
फिर फिर जिद फुहार करती है
आओ भीगें साथ चलो ना....

बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना...

तृप्त धरा का कण कण ऐसे
प्रेम सुधा बरसी हो जैसे
अद्भुत एक अलौकिक बंधन
है ये, छूटे भी तो कैसे
हर्षित हर नव अंकुर करता
सफल हुआ उसका माँ होना

बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना....

देखो मेघ लिए जल अपना
तृण तृण को देते है जीवन
देख ख़ुशी औरों के मुख पर
खुश होता है उनका भी मन
जीवन वो जो औरों का है
अपना ही होना क्या होना

बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना
हरे-भरे उपवन संग नाचें
शीतल मंद पवन, मन कोना

--विजय कुमार पंत
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                                (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                     (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.09.2022-सोमवार.