आइयें गुनगुनाये शौक से-आपके राज्य में क्या खास है ?--क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2022, 08:59:14 PM

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Atul Kaviraje

                                 "आइयें गुनगुनाये शौक से"
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मित्रो,

     आज पढते है, "आइयें गुनगुनाये शौक से" यह ब्लॉगका एक लेख . इस लेखका शीर्षक है-"आपके राज्य में क्या खास है ?"

                      आपके राज्य में क्या खास है ?--क्रमांक-१-- 
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     हम सभी कभी किसी पर्यटन स्थल पर जाने की योजना बनाते हैं तो सोचते हैं कि वहा़ क्या खास है जो देखा जाए| यूँ तो हर जानकारी गूगल पर उपलब्ध है पर यदि वहाँ के निवासी किसी स्थल पर मुहर लगा दें तो वह जगह निश्चित रूप से दर्शनीय है| हम लेकर आए हैं वही खास स्थान|

                    १. पटना- गोलघर - रश्मिप्रभा--

     बचपन में जब पटना जाते थे, तब यह गोलघर बहुत विशिष्ट लगता था, दूर से इसे देखते हुए _ कहानियों, इसकी बनावट और उँची घुमावदार सीढ़ियों के पन्ने सामने होते थे । चढ़कर तो खुद में खास सा लगा था । वक्त बदला, अब यह गोलघर मुश्किल से नजर आता है, देखकर तरस आता है, फिर भी यह अपना इतिहास लिए आज भी खड़ा है, कभी पन्ने पलटिए,  नई पीढ़ी के आगे रखिए,  आपके राज्य में हो न हो, पर है यह खास ।
--रश्मि प्रभा

                    २. इंदौर राजबाड़ा - अर्चना चावजी--

     अहिल्याबाई होलकर ने यहां राज किया था, आज भी वही पुरानी शान बान लिए शहर के मध्य में खड़ा है,आसपास बाजार है,घनी बस्ती बसी है,एक तरफ सराफा बाजार जहां दिन भर सोने,चांदी की दुकानें खुली रहती है तो रात में खाने पीने की, और दूसरी तरफ खजूरी बाजार जहां पुस्तको की दुकानें हैं, पुरानी पुस्तके लगभग आधे दाम में मिल जाती हैं और उसी को साला भर पढ़ने के बाद उन्हें ही वापस बेच सकते हैं।स्टूडेंट्स को फायदा👍
एक खासियत और थी यहां की यहां क्रिकेट में 1983 में विश्वविजेता होने के बाद एक विजय बल्ला बनाया गया था जिसपर टीम के खिलाड़ियों के हस्ताक्षर थे ।अब वो लुप्त है।
--अर्चना चावजी

                            ३. बोधगया - ऋता शेखर--

1. बिहार के गया में स्थित बोधगया में गौतम बुद्ध को पीपल तले ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। वह तीर्थस्थल है। वहाँ गौतम बुद्ध की भव्य मूर्ति वाला मंदिर है। इसके अलावा थाई मंदिर और इंडो निप्पन मंदिर है।

2. यहाँ फल्गु नदी है जो जमीन से एक फ़ीट नीचे से बहती है। ऊपर जमीन पर चल सकते हैं, हाथ से ही गढ्ढे करने पर पानी निकल आता है। यह शापित नदी है। कहा जाता है कि वनवास से लौटने के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी गया में राजा दशरथ का तर्पण करने आये थे। राम-लक्ष्मण सामान जुटाने बाज़ार गए। सीता जी अकेली बैठी थीं तभी फल्गु नदी से राजा दशरथ का हाथ निकला और वह पिंड की मांग करने लगे। सीता जी को कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने वहीं पर पड़े बालू से पिंड बनाकर उनके हाथ में दे दीं। इसके लिए उन्होंने नदी, केला का पेड़, गाय और एक पेड़ को साक्षी बनाया। जब राम वापस आये तो सीता ने सबकुछ बताया। राम जी को विश्वास नहीं हुआ। सीता ने एक एक करके सभी गवाहों से पूछा पर सिर्फ पेड़ ने सहमति बताई , बाकी तीन चुप रह गए। तब सीता ने फल्गु को श्राप देते हुए कहा कि तुम बहोगी पर दिखोगी नहीं। केला के पेड़ को श्राप मिला कि वह वर्ष में सिर्फ एक बार फल देगा। गाय को श्राप मिला कि उसको गंदे जगहों पर से खाना खाना पड़ेगा। वृक्ष को वरदान मिला कि वह कल्पतरु बनकर अमर रहेगा। गया में फल्गु नदी के पास ही वह पेड़ है।

3. वहाँ देश विदेश से पितृपक्ष में लोग पूर्वजों का श्राद्ध करने आते हैं। वहीं विष्णुपद मंदिर है जिसमें कोई मूर्ति नहीं, सिर्फ विष्णु जी के चरण हैं।
--ऋता

--प्रस्तुति-ऋता शेखर 'मधु'
(April 15, 2022)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-गायें-गुनगुनाये.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2022-मंगळवार.