आइयें गुनगुनाये शौक से-आपके राज्य में क्या खास है ?--क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2022, 09:02:23 PM

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Atul Kaviraje

                                 "आइयें गुनगुनाये शौक से"
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मित्रो,

     आज पढते है, "आइयें गुनगुनाये शौक से" यह ब्लॉगका एक लेख . इस लेखका शीर्षक है-"आपके राज्य में क्या खास है ?"

                      आपके राज्य में क्या खास है ?--क्रमांक-3-- 
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                            ६. बनारस-आराधना मिश्रा--

     वाराणसी गंगा के किनारे बसा प्राचीन शहर है जिसे बनारस या काशी भी कहते हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।

     वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।

     प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।😊

                          ७. ग्वालियर- गिरिजा कुलश्रेष्ठ--

     कर्नाटक में बैठी मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मैं मध्यप्रदेश वासिनी हूँ . अगर इस समय मध्यप्रदेश में होती तो और भी गर्व और मान से कहती कि ग्वालियर मेरा गृहनगर है . मेरे सपनों का शहर . वास्तव में पूरा मध्यप्रदेश ही भारत का गौरव है हृदय प्रदेश है . इसकी विशेषताएं शोभना दीदी ,वन्दना ,अर्चना बहुत खूबसूरती से बयां कर चुकी है . मैं प्रदेश के पश्चिमी भाग से हूँ .ग्वालियर मुरैना ,जौरा ,कैलारस ,सबलगढ़ ,पहाड़गढ़ .इन सबसे जुड़ी हूँ . पहाड़गढ़ के जंगलों में छुपे पुरातत्त्व अवशेष , किला ,वीरपुर में कूनों नदी पर बना साइफन पुल, सिहोनियाँ का ककनमठ ,चम्बल के रोमांचक किस्से , 'क्वारी' का वैभव इन सबकी रोचक कहानियाँ है . ग्वालियर के आसपास भी अद्भुत कहानियाँ समेटे बटेश्वर के मन्दिर ,मितावली का चौंसठ योगिनी का मन्दिर ,तिघरा डैम ,आदि दर्शनीय पर्यटनस्थल हैं ,लेकिन ग्वालियर नगर स्वयं एक गौरवशाली अतीत और प्रगतिशील वर्त्तमान समेटे हुए है . यहाँ दुर्ग , तानसेन मकबरा , मोहम्मदगौस का मकबरा , मोतीमहल, बैजाताल ,जयविलास पैलेस, बाला साहेब की टोकरी ,जनकताल ,गरगज हनुमान, संग्रहालय आदि अनेक दर्शनीय स्थान हैं . यहाँ प्रतिवर्ष होने वाला तानसेन समारोह विश्वभर में प्रसिद्ध है . ग्वालियर घराना संगीत के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखता है .गजक और पेठा देशभर में प्रसिद्ध हैं. मेरे लिये शहर की सबसे विशिष्ट पहचान और गर्व की बात है शान से सिर उठाए खड़ा ग्वालियर का किला जो विश्व-धरोहर में शामिल किया जा चुका है . खूबसूरत मानमन्दिर इसकी पहचान है . शेष इमारतों में कर्ण महल ,शाहजहाँ महल , गूजरी महल ,सूरज कुण्ड ,तेली की लाट ,अस्सी खम्भों की बाबड़ी , सहस्रबाहु का मन्दिर (प्रचलित नाम सासबहू का मन्दिर) दाताबन्दी छोड़ गुरुद्वारा, सिन्धिया स्कूल आदि दर्शनीय इमारतें हैं .किले की ऐतिहासिक जानकारियाँ सब इन्टरनेट पर हैं . मेरे लिये यह अधिक महत्त्वपूर्ण है कि जब भी छत पर जाती हूँ मानमन्दिर का सौन्दर्य हदय को गर्व से भर देता है .   

--प्रस्तुति-ऋता शेखर 'मधु'
(April 15, 2022)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-गायें-गुनगुनाये.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2022-मंगळवार.