रचना प्रवेश-डायरी लेखन

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2022, 09:08:06 PM

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Atul Kaviraje

                                      "रचना प्रवेश"
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मित्रो,

     आज पढते है, "रचना प्रवेश" यह ब्लॉग का एक लेख . इस लेख का शीर्षक है-"डायरी लेखन"   

                                          डायरी लेखन--
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     डायरी अंग्रेजी भाषा से लिया गया शब्द है |प्राचीन भारत साहित्य में इसे लिखने की प्रथा दिखाई नहीं देती |हमारी सभ्यता में भी इसका कोई साक्ष्य नहीं है |क्योंकि गंगा-जमुना संस्कृति में इसका चलन नहीं था। और अगर किसी लेखक ने स्वयं के साथ-साथ तत्कालीन समाज पर कुछ लिखा भी है तो उसका रूप, स्वरूप व विधा भिन्न थी। लेकिन आज डायरी लेखन को  भी एक साहित्यिक विधा के रूप में स्वीकार किया जा चूका है |

     कहा जाता है कि जो बात किसी से भी नहीं कही जा सकती वो डायरी में लिखी जा सकती है। डायरी अंतरंग, विशिष्ट व भरोसे का मित्र है। यह अंतर्मन की अभिव्यक्ति है।स्वयं से साक्षात्कार है ,एक सच्चे मित्र की तरह है जो गलत काम करने पर आत्मग्लानिरूपी दण्डऔर अच्छा काम करने पर आत्मसम्मान रूपी पुरस्कार देती है |
डायरी लेखन का मूल स्वभाव गोपनीयता है  इसलिए इसमें मन की कोमल भावनाओं को उंडेला जा सकता है। अपनी बेबाक टिप्पणी, राय व विचार बेधड़क होकर लिखे जा सकते हैं। यह तभी तक सत्य व संभव है जब तक इसे बिना किसी उद्देश्य के लिखा जाए। प्रकाशित करने के लिए लिखे जाने पर इसकी सत्यता, मौलिकता व पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। क्योंकि डायरी लेखक संभावित प्रतिक्रिया के डर से या किसी मोह में फंसकर उसमें आवश्यकतानुसार उलट-फेर जरूर करता है। बस यहीं से शुरू होती है मिलावट। दिल की जगह दिमाग का खेल प्रारंभ हो जाता है।

--ओम नागर
(Saturday, December 17, 2016)
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                 (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-रचना प्रवेश.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2022-मंगळवार.