अमीर धरती गरीब लोग-संपादक बड़ा या मंत्री !

Started by Atul Kaviraje, September 21, 2022, 09:31:00 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                "अमीर धरती गरीब लोग"
                               -----------------------

मित्रो,

     आज पढते है, श्री अनिल पुसादकर, इनके "अमीर धरती गरीब लोग" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है-"संपादक बड़ा या मंत्री !"

                                  संपादक बड़ा या मंत्री !--
                                 ---------------------

     आजकल ऐसा माना जाता है कि पुलिस और नेताओं से मीडिया ज्यादा ताकतवार हो गया है । वो कही भी कभी भी और किसी को भी धूल चटा देता है। ऐसे दौर में अगर पूछा जाए कि संपादक बड़ा या मंत्री! तो अटपटा सा लगेगा। सबको लगेगा संपादक के सामने मंत्री की क्या औकात लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जो हुआ उससे तो ऐसा लगा कि संपादक सिर्फ अपने दफतर में मैनेजर के सामने बौना साबित नहीं हुआ है बल्कि मंत्रिओं के सामने उसकी कौड़ी की भी हैसियत नहीं है।

     हुआ यूँ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और कुशाभउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में देश के जानेमाने संपादक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इकट्ठ हुए। सरकारी जनसंपर्क विभाग कार्यक्रम का आयोजक था। पांच सितारा होटल के एयरकंडीशन हाल में विकास और मीडिया की भूमिका पर पांच घंटे तक चर्चा हुई।

     सरकारी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने वाले सरकारी जनसंपर्क विभाग के पांच सितारा आतिथ्य में सभी वक्ता जमकर बोले। किसी को रायपुर से प्रकाशित होने वाले सांध्य दैनिक तरूण छत्तीसगढ़ के प्रधान संपादक साथी कौशलकिशोर मिश्र की माता के निधन पर शोक श्रध्दांजलि देने का ख्याल तक नहीं आया । इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है। संपादकों की भीड़ उस समय उनका सरकारी पांच सितारा दावत उड़ा रहीं थी जिस समय उनका एक साथी संपादक अपनी माता का अंतिम संस्कार कर रहा था। दरअसल एडिटर्स गिल्ड के कार्यक्रम वाले दिन मानी रविवार 26 अप्रैल को ही दो शोक समाचार सामने आए। पहला राज्य के गृहमंत्री रामविचार नेताम के इकलौते पुत्र के निधन का और दूसरा रायपुर से प्रकाशित सांध्य दैनिक तरूण छत्तीसगढ़ के प्रधान संपादक कौशलकिशोर मिश्र की माता के निधन का। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को अपने मंत्रिमंडलीस सहयोगी के परिवार के दु:ख में शामिल होना जरूरी समझा और वे गृहमंत्री के निवास चले गये और बाद में विकास पर लंबा चौड़ा भाषण पेलने वालों के कार्यक्रम में उन्होंने शामिल होना तक जरूरी नहीं समझाा। यहीं हाल कार्यक्रम के दूसरे अतिथि मंत्री का रहा। नेताओं ने तो अपने कर्तव्य का प्राथमिकता के आधार पर कर दिया मगर संपादक इस मामले में पिछड़ गए।

     देश के जानेमाने संपादक दोपहर पांच सितारा होटल में शानदार दावत उड़ा रहे थे। कार्यक्रम के आयोजक , प्रायोजक या स्थानीय संपादकों में से किसी एक ने भी अपने ही संगी साथी कौशलकिशोर मिश्र की माता के अंतिम संस्कार में शमिल होना तो दूर कार्यक्रम में उल्लेख करना तक जरूरी नहीं समझा। कौशलकिशोर भी एक संपादक है, दुर्भाग्य से छोटे शहर के कथति छोटे अखबार के और कार्यक्रम में शामिल संपादक सौभाग्य से बड़े शहरों के बड़े अखबारों के संपादक थे। अतिथियों से नाराज होना इसलिए भी जायज नहीं लगता कि उन्हें शायद जानकारी नहीं हो लेकिन 'लोकल' उन्हें तो पता था। एडिटर्स गिल्ड की बैठक में विकास में मीडिया की भूमिका पर हुई भाषणबाजी का निष्कर्ष तो पता नहीं क्या निकला लेकिन इतना तय हो गया 'टुकड़ों' में बंटे पत्रकार , सरकार और सरकारी विज्ञापन देने जनसंपर्क विभाग को नाराज कर कार्यक्रम में शोक सभा आयोजित करने या सिर्फ दो मिनट का मौन श्रध्दांजलि देने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

     हाँ मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने जरूर संपादकों की नाराजगी की परवाह किए बिना अपने सहयोगी के शोक में शामिल होकर ये साबित कर दिया कि सरकारी विज्ञापनों के लिए आगे पीछे घूमने वाले समाचार पत्रों के मालिक जब तक उनके साथ है , संपादकों की उन्हें परवाह नहीं ।

--अनिल पुसादकर
(Monday, April 28, 2008)
----------------------------

              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अनिल पुसादकर.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
             -----------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.09.2022-बुधवार.