वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-62-बारिश : चार प्रेम कविताएँ-2

Started by Atul Kaviraje, September 23, 2022, 09:54:27 PM

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Atul Kaviraje

                                    "वर्षा ऋतु कविता"
                                     कविता-पुष्प-62
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                               "बारिश : चार प्रेम कविताएँ-2"
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ख़ूब बारिश होगी
फिर आएगी बाढ़
दर-बदर हो जाएंगे माल-मवेशी
घर की दीवारों में
पहुँच जाएगा पानी
क्या तुम्हें अच्छा लगेगा प्रिय

तुम जिस वर्ग की हो
वहाँ लगातार बारिश से
कोई फ़र्क नहीं पड़ता
लेकिन जिस दुनिया में हम
रहते हैं वहाँ
ज़्यादा बारिश का मतलब
अच्छी फसलों से हाथ
धो बैठना
मिट्टी के मकानों का लद्द-लद्द गिरना

तुमने गाँव नहीं देखे हैं
जिया नहीं है वहाँ का
कठिन जीवन
तुम क्या जानो
यह पानी का आवेग
हमारे जीवन से क्या-क्या
बहा ले जाता है

--स्वप्निल श्रीवास्तव
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.09.2022-शुक्रवार.