निबंध-क्रमांक-26-कोरोना महामारी का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2022, 09:01:20 PM

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Atul Kaviraje

                                         "निबंध"
                                       क्रमांक-26
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"कोरोना महामारी का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव पर निबंध"

              कोरोना महामारी का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव पर निबंध--
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     लोकडाउन के चलते शिक्षको ने ऑनलाइन कक्षाएं प्रारम्भ कर दी है। इंटरनेट की सुविधाओं के कारण विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाएं बच्चो को ऑनलाइन क्लासेस करवा रहे है। ऑनलाइन से स्कूल ,कॉलेज ,विद्यार्थी एक साथ सम्पर्क साध रहे है जिससे पढ़ाई में रूकावट उतपन्न न हो। डिजिटल मार्किट के बाजार में ऑनलाइन क्लासेज का बोलबाला है। यहाँ विभिन्न एप्प के ज़रिये और वीडियो कॉल के माध्यम से पढ़ाया जाता है। ऑनलाइन क्लासेस की फीस कम होने की वजह से ज़्यादा छात्र इस शिक्षा माध्यम से जुड़ रहे है।

     ऑनलाइन क्लासेस के ज़रिये विद्यार्थी इस प्रकार के अनोखे शिक्षा प्रणाली को समझ पाए है। लॉकडाउन के दुष्प्रभाव को ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से कम कर दिया है।केंद्र सरकार ने शिक्षा प्रणाली को विकसित करने हेतु पहले साल की तुलना में इस साल व्यय अधिक किया है ताकि कोरोना संकटकाल के नकारात्मक प्रभाव शिक्षा पर न पड़े। सीबीएसई ने विशेष टोल फ्री नंबर लागू किया है जिसके माध्यम से विद्यार्थी घर पर रहकर अधिकारयों से मदद ले सकते है। बारहवीं कक्षा के  विषय संबंधित पुस्तकें ऑनलाइन जारी की गयी है ताकि बच्चो की शिक्षा में बिलकुल बाधा न आये।

     लॉकडाउन ने परीक्षा चक्र पर अनिश्चितता उतपन्न की है। विश्वविद्यालय छात्र इंटर्नशिप और प्लेसमेंट में कमी आने की शंका है। कार्यशील पूंजी में बाधा पैदा हो सकती है। छात्र परामर्श संचालन प्रभावित हो रहे है। स्कूली शिक्षा  की संरचना में शिक्षण और मूल्यांकन के तरीके लॉकडाउन के चलते प्रभावित होंगे।

     लेकिन कम आय वाले निजी और सरकारी स्कूल ऑनलाइन शिक्षण विधियों को अपनाने में सक्षम नहीं हो पा रहे है। इ लर्निंग समाधानों तक यह स्कूल नहीं पहुँच पा रहे है जिससे  कुछ बच्चो को  पढ़ाई के अवसर इस वक़्त नहीं मिल पा रहे है। बहुत से घरो में लैपटॉप और कंप्यूटर  की सुविधा न होने और स्मार्ट फ़ोन की अत्यधिक डेटा का खर्चा न उठा पाने के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे है। गांव में भी स्कूल बंद है और वहां के बच्चे कोरोना महामारी के संकटकाल में पढ़ नहीं पा रहे है।

     भारत के विभिन्न छात्रों ने चीन ,ब्रिटेन,अमरीका ,ऑस्ट्रेलिया इत्यादि जैसे देशों में प्रवेश लिया है और कोरोना वायरस के कारण यह देश बुरी तरह से प्रभावित है। इस बात की संभावना है कि छात्र भविष्य में वहां प्रवेश नहीं लेंगे और लम्बे समय तक अंतराष्ट्रीय उच्च शिक्षा की मांग में गिरावट आएगी।नियमित रूप से विद्यार्थी जब पढ़ाई करते थे तो एक विशेष अनुशासित जीवन व्यतीत करने के संग टाइम टेबल का अनुकरण करते थे।

     लॉक डाउन में कुछ  बच्चे शिक्षा को लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं है वह सोशल मीडिया में चैट मोबाइल में गेम्स खेलते है और अपने कीमती समय को बर्बाद कर रहे है। अभी माता -पिता की यह जिम्मेदारी है कि लॉकडाउन में भी बच्चे घर पर अनुशासन का पालन करे और ऑनलाइन शिक्षा को गम्भीरतापूर्वक ले और खाली समय में ऑनलाइन एनिमेटेड शिक्षा संबंधित वीडियोस और विभिन्न ऑनलाइन वर्कशीट्स के प्रश्नो को हल करें।

कोवीड 19 के दौरान शिक्षा प्रणाली में ज़रूरी बदलाव की आवश्यकता है।
बिजली की आपूर्ति ,शिक्षको और छात्रों के डिजिटल माध्यम से जुड़ना और इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद जरुरी है।
डिजिटल इ लर्निंग की सुविधा को बढ़ावा देना
जो छात्र  कम आय वाले परिवार से है उन्हें दूरस्थ शिक्षा  कार्यक्रम में शामिल किया जाए।
डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्मों का पता लगाने की आवश्यकता है।
नौकरी की पेशकश और इंटेरसेंशिप कार्यक्रमों के उपायों पर विचार करने की ज़रूरत।

--👩Rima Bose
(18 May 2021)
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी-एसे.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.09.2022-शनिवार.