वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-64-बारिश : चार प्रेम कविताएँ-4

Started by Atul Kaviraje, September 25, 2022, 09:21:55 PM

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Atul Kaviraje

                                   "वर्षा ऋतु कविता"
                                     कविता-पुष्प-64
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                               "बारिश : चार प्रेम कविताएँ-4"
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कितना अच्छा लगता है
जब बारिश होती है
जंगल में
भीगती हुई वनस्पतियों से
उठती है ख़ुशबू
और जंगल के ऊपर
फैल जाती है

एक हिरन-शावक
छतनार पेड़ के नीचे
ठिठका हुआ खड़ा रहता है
क्या तुम उसे जानती हो प्रिय

वह मैं हूँ
दुनिया के कोलाहल से भागा हुआ
एक मनुष्य
पृथ्वी की हरियाली में
सुनने आया हूँ एक
आदिम संगीत

क्या तुम गाओगी प्रिय
इस घनी बारिश में

--स्वप्निल श्रीवास्तव
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                                (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.09.2022-रविवार.