नदीश-कविता-अब अगर आओ तो

Started by Atul Kaviraje, September 25, 2022, 09:35:05 PM

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Atul Kaviraje

                                        "नदीश"
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मित्रो,

     आज पढते है, श्री लोकेश नदीश, इनके "नदीश" ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है-"अब अगर आओ तो"

                                   अब अगर आओ तो--
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कितना मुश्किल ये अपनी ज़िन्दगी से मिलना है
अजनबी को जो किसी अजनबी से मिलना है

ऐ उम्मीद तूने तो देखा ज़रूर होगा उसे
मुझको एक बार किसी भी खुशी से मिलना है

दोस्तों के शहर में तो नहीं मिली मुझको
अब कहाँ जाऊँ, मुझे दोस्ती से मिलना है

हो चुका तंग फरिश्तों से रोज मिलते हुए
सच तो ये है कि मुझे आदमी से मिलना है

अब अगर आओ तो उसको भी साथ ले आना
ऐ नदीश मुझको तेरी बेबसी से मिलना है

--लोकेश नदीश
(जून 08, 2021)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-लोकेश नशीने.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.09.2022-रविवार.